भारतीय संविधान सामान्य ज्ञान 1500 प्रश्न उत्तर Part 15
1401 अनुच्छेद 13 के अनुसार – मौलिक अधिकार न्यायलय द्वारा प्रवर्तनीय है तथा इनका उल्लंघन करने वाले किसी भी कानून को न्यायालय शून्य घोषित कर सकता है।
1402 मूल संविधान में 7 मौलिक अधिकार दिये गये थे लेकिन 1978 में 44वे संविधान संशोधन द्वारा अनुच्छेद 31 में वर्णित सम्पत्ति के अधिकार को समाप्त करके उसे अनुच्छेद 300 क के तहत कानूनी अधिकार घोषित किया गया है ।
1403 वर्तमान में 6 मौलिक अधिकार हैं !
1404 समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से 18 तक) –
1405 अनुच्छेद 14 के अनुसार सभी व्यक्तियों को राज्य के द्वारा कानून के समक्ष समानता और कानून का समान संरक्षण प्राप्त होगा ।
1406 अनुच्छेद 15 के अनुसार:- राज्य किसी भी नागरिक के विरूद्ध धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग तथा जन्म स्थान आदि के आधार पर कोई विभेद नहीं करेगा।
1407 बालकों और स्त्रियों की स्वाभाविक प्रवृत्ति को ध्यान में रखकर उनके संरक्षण के लिये उपबन्ध बनाने का अधिकार अनुच्छेद 15(3) के तहत राज्य को प्राप्त है।
1408 अनुच्छेद 15(4) के अनुसार राज्य सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछडे और SC, ST के लिए विशेष प्रावधान कर सकता है।
1409 अनुच्छेद 16 के अनुसार देश के समस्त नागरिकों को शासकीय सेवाओं में अवसर की समानता होगी ।
1410 अनुच्छेद 16(3) के अनुसार किसी क्षेत्र में नौकरी देने के लिए निवास सम्बन्धी शर्त लगाई जा सकती है ।
1411 अनुच्छेद 16(4) के अनुसार देश के पिछडे नागरिकों को उचित प्रतिनिधित्व के अभाव में आरक्षण की व्यवस्था की जा सकती है
1412 अनुच्छेद 17 के अनुसार अस्पृश्यता का अन्त किया गया है । इसको समाप्त करने के लिए संसद ने अस्पृश्यता अपराध अधिनियम 1955 के तहत दण्डनीय बना दिया है । बाद में 1976 में इसको संशोधित करके सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम 1976 बनाया गया ।
1413 अनुच्छेद 18 के अनुसार शिक्षा और सैनिक क्षेत्र को छोड़कर राज्य द्वारा सभी उपाधियों का अन्त कर दिया गया है
1414 अनुच्छेद 18(2) के अनुसार भारत का कोई भी नागरिक किसी भी विदेशी पुरस्कार को राष्ट्रपति की अनुमति के बिना ग्रहण नहीं कर सकता ।
1415स्वतंत्रता का अधिकारः-(अनुच्छेद 19 से 22 तक) –
1416 अनुच्छेद 19 के अनुसार नागरिक को 6 प्रकार की स्वतंत्रतायें दी गई है –
1417 अनुच्छेद 19(A) – भाषण और विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता। अनुच्छेद 19(1) के अन्तर्गत प्रेस को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गई है । इसी के तहत देश के नागरिकों को राष्ट्रीय ध्वज को फहराने की स्वतंत्रता दी गई है ! संविधान के प्रथम संशोधन अधिनियम 1951 के द्वारा विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित कर दिया गया है। सरकार राज्य की सुरक्षा, सार्वजनिक कानून व्यवस्था, सदाचार, न्यायालय की अवमानना, विदेशी राज्यों से संबंध तथा अपराध के लिए उत्तेजित करना आदि के आधार पर विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगा सकती है।
1418 अनुच्छेद 19(B) के तहत शांतिपूर्ण तथा बिना हथियारों के नागरिकों को सम्मेलन करने और जुलूस निकालने का अधिकार होगा । राज्यों की सार्वजनिक सुरक्षा एवं शान्ति व्यवस्था के हित में इस। स्वतंत्रता को सीमित किया जा सकता है।
1419 अनुच्छेद 19(C) भारतीय नागरिकों को संघ या संगठन बनाने की स्वतंत्रता दी गई हैं ! लेकिन सैनिकों को ऐसी स्वतंत्रता नहीं दी गई है
1420 अनुच्छेद 19(D) देश के किसी भी क्षेत्र मे स्वतंत्रता पूर्वक भ्रमण करने की स्वतंत्रता ।
1421 अनुच्छेद 19(E) देश के किसी क्षेत्र में स्थाई निवास की स्वतंत्रता। (जम्मू कश्मीर को छोड़कर)
1422 अनुच्छेद 19(G) कोई भी व्यापार या कारोबार करने की स्वतंत्रता ।
1423 अनुच्छेद 20 के अनुसार अपराधों के लिए दोष सिद्धि के संबध में संरक्षण दिया गया है
1424 किसी भी व्यक्ति को तब तक अपराधी नहीं माना जाएगा जब तक यह सिद्ध न हो जाये कि उसने किसी कानून का अल्लंघन किया है ।
1425 किसी व्यक्ति को किसी अपराध के लिए उससे अधिक दण्ड नहीं दिया जा सकता ।
1426 किसी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए एक बार से अधिक दण्ड नहीं दिया जा सकता ।
1427 किसी भी व्यक्ति को स्वयं अपने विरूद्ध गवाही देने या सबूत पेश करने के लिये बाध्य नहीं किया जा सकता ।
1428 अनुच्छेद 21 के अनुसारः- किसी भी व्यक्ति को विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अतिरिक्त उसके जीवन और शरीर की स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता ।
1429 अनुच्छेद 21(क) के अनुसार 86वें संविधान संशोधन अधिनियम 2002 के तहत 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को अनिवार्य और निशुल्क शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार दिया गया है ।
1430 अनुच्छेद 22 के अनुसार किसी भी व्यक्ति को बिना कारण बताए गिरफ्तार नहीं किया जा सकता और गिरफ्तार व्यक्ति को 24 घण्टे के अन्दर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना अनिवार्य है ।
1431 शोषण के विरू़द्ध अधिकार (23 से 24 तक) –
1432 अनुच्छेद 23 के अनुसार मानव व्यापार व बेगार तथा बलात श्रम पर प्रतिबंध लगाया गया है । लेकिन राज्य सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए
1433 सार्वजनिक सेवा या श्रम योजना लागू कर सकती है। राज्य इस सेवा में धर्म, मूलवंश, जाति या वर्ग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेगा। बंधुआ मजदूरी समाप्त करने के लिए 1975 में बंधुआ मजदूरी का उन्मूलन अधिनियम पारित किया गया ।
1434 अनुच्छेद 24 के अनुसार बाल श्रम का निषेध किया गया है जिसके अनुसार 14 वर्ष से कम उम्र के किसी भी बच्चे को कारखानो, खदानों या खतरनाक कार्यों में नहीं लगाया जा सकता ।
1435धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकारः- (25 से 28 तक) –
1436 अनुच्छेद 25 के अनुसार देश के प्रत्येक नागरिक को किसी भी धर्म को मानने व आचरण करने और प्रचार करने का अधिकार है ! लेकिन सार्वजनिक व्यवस्था व समाज कल्याण एवं सुधार आदि के अन्र्तगत इस पर रोक लगाई जा सकती है
1437 अनुच्छेद 26 के अनुसार धार्मिक प्रयोजन के लिए संस्था बनाने, उसका पोषण करने और धार्मिक कार्यों के प्रबन्ध के लिये सम्पत्ति अर्जित करने का अधिकार है ।
1438 अनुच्छेद 27 के अनुसारः- किसी भी व्यक्ति को किसी धर्म या सम्प्रदाय विशेष के पोषण हेतु कर देने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा ।
1439 अनुच्छेद 28 के अनुसारः- राज्य निधि से वित्त पोषित या आर्थिक सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाएगी और न ही किसी व्यक्ति को धार्मिक शिक्षा या धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
1440संस्कृति और शिक्षा सम्बन्धी अधिकार (29से 30 तक) –
1441 अनुच्छेद 29 के अनुसार देश के प्रत्येक नागरिक को अपनी भाषाए लिपि या संस्कृति को सुरक्षित रखने का पूर्ण अधिकार होगा ! राज्य द्वारा आर्थिक सहायता प्राप्त किसी भी शिक्षण संस्था में किसी भी नागरिक को धर्म व मूलवंश व जाति और भाषा आदि के आधार पर प्रवेश लेने से वंचित नही किया जा सकता ।
1442 अनुच्छेद 30 के अनुसारः- धर्म या भाषा पर आधारित सभी अल्प संख्यक वर्गो को अपनी पसंद की शिक्षण संस्थाओं की स्थापना करने और प्रशासन का अधिकार होगा और राज्य इस आधार पर शिक्षा संस्थाओ को आर्थिक सहायता देने के लिए कोई विभेद नही करेगा ।
1443संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनु. 32) –
1444 अनुच्छेद 32 के अनुसार यह अधिकार मौलिक अधिकारों के लिए प्रभावी कार्यवाईयाॅं न्यायलय के द्वारा करवाता है । इस अधिकार के तहत यदि किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकार का उल्लघन हुआ है तो वह सीधे सर्वोच्च न्यायालय में जा सकता है ।
1445 अनुच्छेद 32 को डाॅ. भीमराव अम्वेडकर ने भारतीय संविधान की आत्मा कहा है।
1446 अनुच्छेद 32 के तहत सर्वोच्च न्यायालय को और अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय को मौलिक अधिकारों के संरक्षण हेतु 5 रिटे जारी करने का अधिकार है –
1447 बन्दी प्रत्यक्षीकरण – इसके अन्तर्गत गैर कानूनी या अवैधानिक रूप से बन्द किये गये किसी भी व्यक्ति को सामने लाने हेतु न्यायालय द्वारा आदेश दिया जा सकता है । यह आदेश किसी भी शासकीय कर्मचारी या किसी भी व्यक्ति के लिए जारी किया जा सकता है ।
1448 परमादेश – यह आदेश सार्वजनिक पद पर काम करने वाले अधिकारियों व सरकार तथा अधीनस्थ न्यायालयों एवं न्यायिक अभिकरण के विरूद्ध़ जारी किया जा सकता है यदि वे अपने कर्तव्यों का सही पालन नही कर रहे हो किन्तु यह किसी संस्था या व्यक्ति के विरूद्ध जारी नही किया जा सकता है ।
1449 प्रतिषेध – यह निम्न न्यायालयों को जारी की जाने वाली निषेधाज्ञा है जिसमें यह आदेश दिया जाता है कि वे किसी मामले विशेष मे कोई कार्यवाही न करें क्योंकि यह मामला उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है ।
1450 उत्प्रेषण – इसके द्वारा निम्न न्यायालय के किसी भी केस को या जानकारी को उच्च न्यायालय अपने पास मंगा सकता है यह रिट उस समय जारी की जा सकती है जब निम्न न्यायालय किसी मामले की सुनवाई कर चुका हो ।
1451 अधिकार प्रच्छा – इस रिट द्वारा न्यायालय किसी भी ऐसे व्यक्ति से जो किसी सार्वजनिक पद पर अवैधानिक रूप से कार्य कर रहा होता है। तो उससे पूछा जाता है कि आप इस पद पर किस अधिकार से कार्य कर रहे हैं ।
1452मौलिक अधिकारों का निलम्बन –
1453 अनुच्छेद 33 संसद को यह शक्ति प्रदान करती है वि वह स्वतंत्र बलों, अद्धसैनिक बलों, खूफिया ऐजेन्सियों के सदस्यों के संबंध में मौलिक अधिकारो को प्रतिबंधित कर सकती है। ताकि वे अपने कर्तव्यों का उचित पालन कर सकें और उनके अनुशासन बना रहे।
1454 अनुच्छेद 34 मौलिक अधिकारों पर तब प्रतिबंध लगाता है जब भारत में कही भी सेना विधि (मार्शल लाॅं) लागू हो मार्शल लाॅं के क्रियान्वयन के समय सैन्य प्रशासन के पास जरूरी कदम उठाने के लिए असाधारण अधिकार मिल जाते हैं वे अधिकारों पर प्रतिबंध यहाॅं तक कि किसी मामले में नागरिकों को मृत्युदंड तक लागू कर सकता है।
1455 अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय आपात की घोषणा होने पर उसके द्वारा अनुच्छेद 359 के तहत सभी मौलिक अधिकार निलम्बित किये जा सकते हैं । परन्तु 44वें संविधान संशोधन के पश्चात अनुच्छेद 20 व 21 किसी भी स्थिति में निलबिंत नही किये जा सकते ।
1456 नोट – अनुच्छेद – 15,16,19,29 व 30 के अन्तर्गत प्राप्त मौलिक अधिकार केवल भारतीय नागरिकों के लिए है । जबकि शेष सभी अधिकार सभी व्यक्तियों के लिये हैं ।
1457 अनुच्छेद 1 :- संघ कानाम और राज्य क्षेत्र
1458 अनुच्छेद 2 :- नए राज्यों का प्रवेश या स्थापना
1459 अनुच्छेद 3 :- राज्य का निर्माण तथा सीमाओं या नामों मे परिवर्तन
1460 अनुच्छेद 4 :- पहली अनुसूचित व चौथी अनुसूची के संशोधन तथा दो और तीन के अधीन बनाई गई विधियां
1461 अनुच्छेद 5 :- संविधान के प्रारंभ पर नागरिकता
1462 अनुच्छेद 6 :- भारत आने वाले व्यक्तियों को नागरिकता
1463 अनुच्छेद 7 :-पाकिस्तान जाने वालों को नागरिकता
1464 अनुच्छेद 8 :- भारत के बाहर रहने वाले व्यक्तियों का नागरिकता
1465 अनुच्छेद 9 :- विदेशी राज्य की नागरिकता लेने पर नागरिकता का ना होना
1466 अनुच्छेद 10 :- नागरिकता के अधिकारों का बना रहना
1467 अनुच्छेद 11 :- संसद द्वारा नागरिकता के लिए कानून का विनियमन
1468 अनुच्छेद 12 :- राज्य की परिभाषा
1469 अनुच्छेद 13 :- मूल अधिकारों को असंगत या अल्पीकरण करने वाली विधियां
1470 अनुच्छेद 14 :- विधि के समक्ष समानता
1471 अनुच्छेद 15 :- धर्म जाति लिंग पर भेद का प्रतिशेध
1472 अनुच्छेद 16 :- लोक नियोजन में अवसर की समानता
1473 अनुच्छेद 17 :- अस्पृश्यता का अंत
1474 अनुच्छेद 18 :- उपाधीयों का अंत
1475 अनुच्छेद 19 :- वाक् की स्वतंत्रता
1476 अनुच्छेद 20 :- अपराधों के दोष सिद्धि के संबंध में संरक्षण\
1477 अनुच्छेद 21 :-प्राण और दैहिक स्वतंत्रता
1478 अनुच्छेद 21 क :- 6 से 14 वर्ष के बच्चों को शिक्षा का अधिकार
1479 अनुच्छेद 22 :– कुछ दशाओं में गिरफ्तारी से सरंक्षण
1480 अनुच्छेद 23 :- मानव के दुर्व्यापार और बाल आश्रम
1481 अनुच्छेद 24 :- कारखानों में बालक का नियोजन का प्रतिशत
1482 अनुच्छेद 25 :- धर्म का आचरण और प्रचार की स्वतंत्रता\
1483 अनुच्छेद 26 :-धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता
1484 अनुच्छेद 29 :- अल्पसंख्यक वर्गों के हितों का संरक्षण
1485 अनुच्छेद 30 :- शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार
1486 अनुच्छेद 32 :- अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिए उपचार\
1487 अनुच्छेद 36 :- परिभाषा
1488 अनुच्छेद 40 :- ग्राम पंचायतों का संगठन
1489 अनुच्छेद 48 :- कृषि और पशुपालन संगठन
1490 अनुच्छेद 48 क :- पर्यावरण वन तथा वन्य जीवों की रक्षा
1491 अनुच्छेद 49 :- राष्ट्रीय स्मारक स्थानों और वस्तुओं का संरक्षण
1492 अनुच्छेद 50 :- कार्यपालिका से न्यायपालिका का प्रथक्करण
1493 अनुच्छेद 51 :- अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा
1494 अनुच्छेद 51 क :- मूल कर्तव्य
1495 अनुच्छेद 52 :- भारत का राष्ट्रपति
1496 अनुच्छेद 53 :- संघ की कार्यपालिका शक्ति
1497 अनुच्छेद 54 :- राष्ट्रपति का निर्वाचन
1498 अनुच्छेद 55 :- राष्ट्रपति के निर्वाचन की रीती
1499 अनुच्छेद 56 :- राष्ट्रपति की पदावधि
1500 अनुच्छेद 57 :- पुनर्निर्वाचन के लिए पात्रता
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1402 मूल संविधान में 7 मौलिक अधिकार दिये गये थे लेकिन 1978 में 44वे संविधान संशोधन द्वारा अनुच्छेद 31 में वर्णित सम्पत्ति के अधिकार को समाप्त करके उसे अनुच्छेद 300 क के तहत कानूनी अधिकार घोषित किया गया है ।
1403 वर्तमान में 6 मौलिक अधिकार हैं !
1404 समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से 18 तक) –
1405 अनुच्छेद 14 के अनुसार सभी व्यक्तियों को राज्य के द्वारा कानून के समक्ष समानता और कानून का समान संरक्षण प्राप्त होगा ।
भारतीय संविधान 1500 प्रश्न उत्तर Part 15 |
1406 अनुच्छेद 15 के अनुसार:- राज्य किसी भी नागरिक के विरूद्ध धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग तथा जन्म स्थान आदि के आधार पर कोई विभेद नहीं करेगा।
1407 बालकों और स्त्रियों की स्वाभाविक प्रवृत्ति को ध्यान में रखकर उनके संरक्षण के लिये उपबन्ध बनाने का अधिकार अनुच्छेद 15(3) के तहत राज्य को प्राप्त है।
1408 अनुच्छेद 15(4) के अनुसार राज्य सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछडे और SC, ST के लिए विशेष प्रावधान कर सकता है।
1409 अनुच्छेद 16 के अनुसार देश के समस्त नागरिकों को शासकीय सेवाओं में अवसर की समानता होगी ।
1410 अनुच्छेद 16(3) के अनुसार किसी क्षेत्र में नौकरी देने के लिए निवास सम्बन्धी शर्त लगाई जा सकती है ।
1411 अनुच्छेद 16(4) के अनुसार देश के पिछडे नागरिकों को उचित प्रतिनिधित्व के अभाव में आरक्षण की व्यवस्था की जा सकती है
1412 अनुच्छेद 17 के अनुसार अस्पृश्यता का अन्त किया गया है । इसको समाप्त करने के लिए संसद ने अस्पृश्यता अपराध अधिनियम 1955 के तहत दण्डनीय बना दिया है । बाद में 1976 में इसको संशोधित करके सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम 1976 बनाया गया ।
1413 अनुच्छेद 18 के अनुसार शिक्षा और सैनिक क्षेत्र को छोड़कर राज्य द्वारा सभी उपाधियों का अन्त कर दिया गया है
1414 अनुच्छेद 18(2) के अनुसार भारत का कोई भी नागरिक किसी भी विदेशी पुरस्कार को राष्ट्रपति की अनुमति के बिना ग्रहण नहीं कर सकता ।
1415स्वतंत्रता का अधिकारः-(अनुच्छेद 19 से 22 तक) –
1416 अनुच्छेद 19 के अनुसार नागरिक को 6 प्रकार की स्वतंत्रतायें दी गई है –
1417 अनुच्छेद 19(A) – भाषण और विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता। अनुच्छेद 19(1) के अन्तर्गत प्रेस को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गई है । इसी के तहत देश के नागरिकों को राष्ट्रीय ध्वज को फहराने की स्वतंत्रता दी गई है ! संविधान के प्रथम संशोधन अधिनियम 1951 के द्वारा विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित कर दिया गया है। सरकार राज्य की सुरक्षा, सार्वजनिक कानून व्यवस्था, सदाचार, न्यायालय की अवमानना, विदेशी राज्यों से संबंध तथा अपराध के लिए उत्तेजित करना आदि के आधार पर विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगा सकती है।
1418 अनुच्छेद 19(B) के तहत शांतिपूर्ण तथा बिना हथियारों के नागरिकों को सम्मेलन करने और जुलूस निकालने का अधिकार होगा । राज्यों की सार्वजनिक सुरक्षा एवं शान्ति व्यवस्था के हित में इस। स्वतंत्रता को सीमित किया जा सकता है।
1419 अनुच्छेद 19(C) भारतीय नागरिकों को संघ या संगठन बनाने की स्वतंत्रता दी गई हैं ! लेकिन सैनिकों को ऐसी स्वतंत्रता नहीं दी गई है
1420 अनुच्छेद 19(D) देश के किसी भी क्षेत्र मे स्वतंत्रता पूर्वक भ्रमण करने की स्वतंत्रता ।
1421 अनुच्छेद 19(E) देश के किसी क्षेत्र में स्थाई निवास की स्वतंत्रता। (जम्मू कश्मीर को छोड़कर)
1422 अनुच्छेद 19(G) कोई भी व्यापार या कारोबार करने की स्वतंत्रता ।
1423 अनुच्छेद 20 के अनुसार अपराधों के लिए दोष सिद्धि के संबध में संरक्षण दिया गया है
1424 किसी भी व्यक्ति को तब तक अपराधी नहीं माना जाएगा जब तक यह सिद्ध न हो जाये कि उसने किसी कानून का अल्लंघन किया है ।
1425 किसी व्यक्ति को किसी अपराध के लिए उससे अधिक दण्ड नहीं दिया जा सकता ।
1426 किसी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए एक बार से अधिक दण्ड नहीं दिया जा सकता ।
1427 किसी भी व्यक्ति को स्वयं अपने विरूद्ध गवाही देने या सबूत पेश करने के लिये बाध्य नहीं किया जा सकता ।
1428 अनुच्छेद 21 के अनुसारः- किसी भी व्यक्ति को विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अतिरिक्त उसके जीवन और शरीर की स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता ।
1429 अनुच्छेद 21(क) के अनुसार 86वें संविधान संशोधन अधिनियम 2002 के तहत 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को अनिवार्य और निशुल्क शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार दिया गया है ।
1430 अनुच्छेद 22 के अनुसार किसी भी व्यक्ति को बिना कारण बताए गिरफ्तार नहीं किया जा सकता और गिरफ्तार व्यक्ति को 24 घण्टे के अन्दर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना अनिवार्य है ।
1431 शोषण के विरू़द्ध अधिकार (23 से 24 तक) –
1432 अनुच्छेद 23 के अनुसार मानव व्यापार व बेगार तथा बलात श्रम पर प्रतिबंध लगाया गया है । लेकिन राज्य सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए
1433 सार्वजनिक सेवा या श्रम योजना लागू कर सकती है। राज्य इस सेवा में धर्म, मूलवंश, जाति या वर्ग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेगा। बंधुआ मजदूरी समाप्त करने के लिए 1975 में बंधुआ मजदूरी का उन्मूलन अधिनियम पारित किया गया ।
1434 अनुच्छेद 24 के अनुसार बाल श्रम का निषेध किया गया है जिसके अनुसार 14 वर्ष से कम उम्र के किसी भी बच्चे को कारखानो, खदानों या खतरनाक कार्यों में नहीं लगाया जा सकता ।
1435धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकारः- (25 से 28 तक) –
1436 अनुच्छेद 25 के अनुसार देश के प्रत्येक नागरिक को किसी भी धर्म को मानने व आचरण करने और प्रचार करने का अधिकार है ! लेकिन सार्वजनिक व्यवस्था व समाज कल्याण एवं सुधार आदि के अन्र्तगत इस पर रोक लगाई जा सकती है
1437 अनुच्छेद 26 के अनुसार धार्मिक प्रयोजन के लिए संस्था बनाने, उसका पोषण करने और धार्मिक कार्यों के प्रबन्ध के लिये सम्पत्ति अर्जित करने का अधिकार है ।
1438 अनुच्छेद 27 के अनुसारः- किसी भी व्यक्ति को किसी धर्म या सम्प्रदाय विशेष के पोषण हेतु कर देने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा ।
1439 अनुच्छेद 28 के अनुसारः- राज्य निधि से वित्त पोषित या आर्थिक सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाएगी और न ही किसी व्यक्ति को धार्मिक शिक्षा या धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
1440संस्कृति और शिक्षा सम्बन्धी अधिकार (29से 30 तक) –
1441 अनुच्छेद 29 के अनुसार देश के प्रत्येक नागरिक को अपनी भाषाए लिपि या संस्कृति को सुरक्षित रखने का पूर्ण अधिकार होगा ! राज्य द्वारा आर्थिक सहायता प्राप्त किसी भी शिक्षण संस्था में किसी भी नागरिक को धर्म व मूलवंश व जाति और भाषा आदि के आधार पर प्रवेश लेने से वंचित नही किया जा सकता ।
1442 अनुच्छेद 30 के अनुसारः- धर्म या भाषा पर आधारित सभी अल्प संख्यक वर्गो को अपनी पसंद की शिक्षण संस्थाओं की स्थापना करने और प्रशासन का अधिकार होगा और राज्य इस आधार पर शिक्षा संस्थाओ को आर्थिक सहायता देने के लिए कोई विभेद नही करेगा ।
1443संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनु. 32) –
1444 अनुच्छेद 32 के अनुसार यह अधिकार मौलिक अधिकारों के लिए प्रभावी कार्यवाईयाॅं न्यायलय के द्वारा करवाता है । इस अधिकार के तहत यदि किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकार का उल्लघन हुआ है तो वह सीधे सर्वोच्च न्यायालय में जा सकता है ।
1445 अनुच्छेद 32 को डाॅ. भीमराव अम्वेडकर ने भारतीय संविधान की आत्मा कहा है।
1446 अनुच्छेद 32 के तहत सर्वोच्च न्यायालय को और अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय को मौलिक अधिकारों के संरक्षण हेतु 5 रिटे जारी करने का अधिकार है –
1447 बन्दी प्रत्यक्षीकरण – इसके अन्तर्गत गैर कानूनी या अवैधानिक रूप से बन्द किये गये किसी भी व्यक्ति को सामने लाने हेतु न्यायालय द्वारा आदेश दिया जा सकता है । यह आदेश किसी भी शासकीय कर्मचारी या किसी भी व्यक्ति के लिए जारी किया जा सकता है ।
1448 परमादेश – यह आदेश सार्वजनिक पद पर काम करने वाले अधिकारियों व सरकार तथा अधीनस्थ न्यायालयों एवं न्यायिक अभिकरण के विरूद्ध़ जारी किया जा सकता है यदि वे अपने कर्तव्यों का सही पालन नही कर रहे हो किन्तु यह किसी संस्था या व्यक्ति के विरूद्ध जारी नही किया जा सकता है ।
1449 प्रतिषेध – यह निम्न न्यायालयों को जारी की जाने वाली निषेधाज्ञा है जिसमें यह आदेश दिया जाता है कि वे किसी मामले विशेष मे कोई कार्यवाही न करें क्योंकि यह मामला उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है ।
1450 उत्प्रेषण – इसके द्वारा निम्न न्यायालय के किसी भी केस को या जानकारी को उच्च न्यायालय अपने पास मंगा सकता है यह रिट उस समय जारी की जा सकती है जब निम्न न्यायालय किसी मामले की सुनवाई कर चुका हो ।
1451 अधिकार प्रच्छा – इस रिट द्वारा न्यायालय किसी भी ऐसे व्यक्ति से जो किसी सार्वजनिक पद पर अवैधानिक रूप से कार्य कर रहा होता है। तो उससे पूछा जाता है कि आप इस पद पर किस अधिकार से कार्य कर रहे हैं ।
1452मौलिक अधिकारों का निलम्बन –
1453 अनुच्छेद 33 संसद को यह शक्ति प्रदान करती है वि वह स्वतंत्र बलों, अद्धसैनिक बलों, खूफिया ऐजेन्सियों के सदस्यों के संबंध में मौलिक अधिकारो को प्रतिबंधित कर सकती है। ताकि वे अपने कर्तव्यों का उचित पालन कर सकें और उनके अनुशासन बना रहे।
1454 अनुच्छेद 34 मौलिक अधिकारों पर तब प्रतिबंध लगाता है जब भारत में कही भी सेना विधि (मार्शल लाॅं) लागू हो मार्शल लाॅं के क्रियान्वयन के समय सैन्य प्रशासन के पास जरूरी कदम उठाने के लिए असाधारण अधिकार मिल जाते हैं वे अधिकारों पर प्रतिबंध यहाॅं तक कि किसी मामले में नागरिकों को मृत्युदंड तक लागू कर सकता है।
1455 अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय आपात की घोषणा होने पर उसके द्वारा अनुच्छेद 359 के तहत सभी मौलिक अधिकार निलम्बित किये जा सकते हैं । परन्तु 44वें संविधान संशोधन के पश्चात अनुच्छेद 20 व 21 किसी भी स्थिति में निलबिंत नही किये जा सकते ।
1456 नोट – अनुच्छेद – 15,16,19,29 व 30 के अन्तर्गत प्राप्त मौलिक अधिकार केवल भारतीय नागरिकों के लिए है । जबकि शेष सभी अधिकार सभी व्यक्तियों के लिये हैं ।
1457 अनुच्छेद 1 :- संघ कानाम और राज्य क्षेत्र
1458 अनुच्छेद 2 :- नए राज्यों का प्रवेश या स्थापना
1459 अनुच्छेद 3 :- राज्य का निर्माण तथा सीमाओं या नामों मे परिवर्तन
1460 अनुच्छेद 4 :- पहली अनुसूचित व चौथी अनुसूची के संशोधन तथा दो और तीन के अधीन बनाई गई विधियां
1461 अनुच्छेद 5 :- संविधान के प्रारंभ पर नागरिकता
1462 अनुच्छेद 6 :- भारत आने वाले व्यक्तियों को नागरिकता
1463 अनुच्छेद 7 :-पाकिस्तान जाने वालों को नागरिकता
1464 अनुच्छेद 8 :- भारत के बाहर रहने वाले व्यक्तियों का नागरिकता
1465 अनुच्छेद 9 :- विदेशी राज्य की नागरिकता लेने पर नागरिकता का ना होना
1466 अनुच्छेद 10 :- नागरिकता के अधिकारों का बना रहना
1467 अनुच्छेद 11 :- संसद द्वारा नागरिकता के लिए कानून का विनियमन
1468 अनुच्छेद 12 :- राज्य की परिभाषा
1469 अनुच्छेद 13 :- मूल अधिकारों को असंगत या अल्पीकरण करने वाली विधियां
1470 अनुच्छेद 14 :- विधि के समक्ष समानता
1471 अनुच्छेद 15 :- धर्म जाति लिंग पर भेद का प्रतिशेध
1472 अनुच्छेद 16 :- लोक नियोजन में अवसर की समानता
1473 अनुच्छेद 17 :- अस्पृश्यता का अंत
1474 अनुच्छेद 18 :- उपाधीयों का अंत
1475 अनुच्छेद 19 :- वाक् की स्वतंत्रता
1476 अनुच्छेद 20 :- अपराधों के दोष सिद्धि के संबंध में संरक्षण\
1477 अनुच्छेद 21 :-प्राण और दैहिक स्वतंत्रता
1478 अनुच्छेद 21 क :- 6 से 14 वर्ष के बच्चों को शिक्षा का अधिकार
1479 अनुच्छेद 22 :– कुछ दशाओं में गिरफ्तारी से सरंक्षण
1480 अनुच्छेद 23 :- मानव के दुर्व्यापार और बाल आश्रम
1481 अनुच्छेद 24 :- कारखानों में बालक का नियोजन का प्रतिशत
1482 अनुच्छेद 25 :- धर्म का आचरण और प्रचार की स्वतंत्रता\
1483 अनुच्छेद 26 :-धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता
1484 अनुच्छेद 29 :- अल्पसंख्यक वर्गों के हितों का संरक्षण
1485 अनुच्छेद 30 :- शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार
1486 अनुच्छेद 32 :- अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिए उपचार\
1487 अनुच्छेद 36 :- परिभाषा
1488 अनुच्छेद 40 :- ग्राम पंचायतों का संगठन
1489 अनुच्छेद 48 :- कृषि और पशुपालन संगठन
1490 अनुच्छेद 48 क :- पर्यावरण वन तथा वन्य जीवों की रक्षा
1491 अनुच्छेद 49 :- राष्ट्रीय स्मारक स्थानों और वस्तुओं का संरक्षण
1492 अनुच्छेद 50 :- कार्यपालिका से न्यायपालिका का प्रथक्करण
1493 अनुच्छेद 51 :- अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा
1494 अनुच्छेद 51 क :- मूल कर्तव्य
1495 अनुच्छेद 52 :- भारत का राष्ट्रपति
1496 अनुच्छेद 53 :- संघ की कार्यपालिका शक्ति
1497 अनुच्छेद 54 :- राष्ट्रपति का निर्वाचन
1498 अनुच्छेद 55 :- राष्ट्रपति के निर्वाचन की रीती
1499 अनुच्छेद 56 :- राष्ट्रपति की पदावधि
1500 अनुच्छेद 57 :- पुनर्निर्वाचन के लिए पात्रता
भारतीय संविधान सामान्य ज्ञान 1500 प्रश्न उत्तर Part 15
Reviewed by vishal
on
October 18, 2018
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