भौतिक विज्ञान 1500 प्रश्न उत्तर Part 1

भौतिक विज्ञान 1500 प्रश्न उत्तर Part 1

1      *भौतिक विज्ञान; ‘विज्ञान की वह शाखा है, जिसमे द्रव्य, ऊर्जा और उसकी परस्पर क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है’ | भौतिक विज्ञान प्रकृति जगत का मूल विज्ञान है |
2      *CGS पद्धति : इसे फ्रेंच या मीट्रिक पद्धति भी कहते हैं, इसमे दूरी का मात्रक सेमी., द्रव्यमान का मात्रक ग्राम, समय का मात्रक सेकेंड होता है |
3      *FPS पद्धति : इसे ब्रिटिश पद्धति भी कहते हैं, इसमें दूरी का मात्रक फूट, द्रव्यमान का मात्रक पाउण्ड, तथा समय का मात्रक सेकेण्ड होता है |
4      *MKS पद्धति : इसमें दूरी का मात्रक मीटर, द्रव्यमान का मात्रक किलोग्राम, तथा समय का मात्रक सेकेंड होता है |
5      *SI पद्धति : इस पद्धति में सात मूल मात्रक, तथा दो सहायक मात्रक होते हैं |
6      *विज्ञान में 7 मूल राशियां लम्बाई या दूरी, द्रव्यमान, समय, ताप, विद्युत धारा, ज्योति तीव्रता, तथा पदार्थ की आणविक मात्रा निर्धारित की गयी हैं तथा इन राशियों के मात्रक मानक रूप मे निश्चित किये गये हैं | इन मात्रकों को मूल मात्रक कहते हैं | 
7      *जिन मात्रकों मे दो या दो से अधिक मूल मात्रकों का समावेश होता है उन्हे व्युत्पन्न मात्रक कहते हैं |
8      *रेडियन तथा स्टेरेडियन को पूरक मात्रक कहते हैं | रेडियन कोण का तथा स्टेरेडियन घन कोण अथवा ठोसीय कोण का मात्रक है |
9      *राशियां तथा उनके मात्रक :
10     लम्बाई     मीटर
11     द्रव्यमान    किलो ग्राम
12     समय      सेकेण्ड
13     ताप    केल्विन या डिग्री सेल्सियस
14     विद्युत धारा    एम्पियर
15     ज्योति तीव्रता    कैंडिला
16     आणविक मात्रा    मोल
17     समतल कोण    रेडियन
18     घन कोण    स्टेरेडियन
19     कार्य तथा ऊर्जा    जूल
20     बल    न्यूटन
21     तरंग दैर्ध्य    ऐंग्स्ट्राम
22     आयतन    घन मीटर
23     चाल    मी./से.
24     कोणीय वेग    रेडियन/से
25     आवृत्ति    हर्टज
26     दाब    पास्कल
27     शक्ति    वाट
28     विद्युत आवेश    कुलाम
29     विभवांतर    वोल्ट
30     विद्युत प्रतिरोध    ओम
31     *बल का सी.जी.एस. पद्धति में मात्रक डाइन, एवं एस.आई. पद्धति मे मात्रक न्यूटन है | 1 न्यूटन = 105 डाइन  |
32     *कार्य का सी.जी.एस. पद्धति मे मात्रक अर्ग, एवं एस.आई. पद्धति मे मात्रक जूल है | 1 जूल = 107 अर्ग |
33     *आवृति का एस.आई. मात्रक कम्पन प्रति सेकेंड/हर्टज होता है |
34     *भार का मात्रक न्यूटन एवं द्रव्यमान का मात्रक किलोग्राम होता है |
35     *माइक्रान अत्यंत सूक्ष्म वस्तुओं जैसे जैव कोशिका की माप को व्यक्त करने के लिए उपयोग मे लाया जाता है |
36     *ऐंग्स्ट्राम मात्रक का उपयोग प्रकाश तरंगों, तरंग दैर्ध्य, अणुओं तथा परमाणुओं के आकार को व्यक्त करने में किया जाता है |
37     *1माइक्रान = 10-6 मीटर |
38     *1 ऐंग्स्ट्राम = 10-10 मीटर
39     *1 पाउण्ड = 453 ग्राम |
40     *1 फुट = 30.48 से.मी. |
41     *1 नैनो सेकेंड = 10-9 सेकेंड |
42     *प्रकाश वर्ष दूरी का मात्रक है | निर्वात मे प्रकाश तरंगों द्वारा 1 वर्ष मे चली गई दूरी को 1 प्रकाश वर्ष कहते हैं |
43     *निर्वात मे प्रकाश की चाल 3x108 मीटर/सेकेंड होती है |
44     *1 प्रकाश वर्ष = 9.461x1015 मीटर = 1016 मीटर (लगभग) = 9.46x1012 किलो.मीटर |
45     *दूरी मापने की सबसे बडी इकाई पारसेक होती है |
46     *1 पारसेक = 3.084x1013 किलो.मीटर = 3.084x1016 मीटर = 3.26 प्रकाश वर्ष |                     
47     *मात्रक को बहुबचन मे नहीं लिखा जाता है | अंग्रेजी मे लिखते समय मात्रकों को कैपिटल अक्षर से प्रारम्भ नहीं किया जाता | मात्रकों के सामान्य प्रतीक भी कैपिटल अक्षरों मे नहीं होते, परंतु वैज्ञानिकों के नाम वाले मात्रकों के प्रतीक कैपिटल अक्षरों मे लिखे जाते हैं |
48     *1 ऐंग्स्ट्राम = 10-4 माइक्रान , 1 नैनो मीटर = 10-9 मीटर |
49     *सामान्य मीटर स्केल का अल्पतमांक 1 मिली मीटर तथा वर्नियर कैलिपर्स का अल्पतमांक 0.1 मिमी अथवा 0.01 सेमी होता है |
50     *किसी भौतिक राशि मे सार्थक अंको की संख्या जितनी अधिक होती है उसके मान मे प्रतिशत त्रुटि उतनी ही कम होती है |
51     *अदिश राशि : ऐसी भौतिक राशि, जिनमे केवल परिमाण होता है ; दिशा नहीं, उसे अदिश राशि कहा जाता है | उदाहरण : दूरी, आयतन, द्रव्यमान, घनत्व, दाब, कार्य, ऊर्जा, विद्युत-आवेश, विभव, विद्युत-धारा, प्रतिरोध, सामर्थ्य, ताप आदि |
52     *सदिश राशि : ऐसी भौतिक राशि, जिसमे परिमाण के साथ-साथ दिशा बताना आवश्यक होता है, और वे योग के निश्चित नियमों के अनुसार जोडी जाती हैं, उन्हे सदिश राशि कहते हैं | उदाहरण : विस्थापन, वेग, संवेग, बल, त्वरण आदि |
53     *विस्थापन : एक निश्चित दिशा मे दो बिंदुओं के बीच की न्यूनतम दूरी को विस्थापन कहते हैं | यह सदिश राशि है, इसका एस.आई. मात्रक मीटर है | विस्थापन धनात्मक, ऋणात्मक एवं शून्य भी हो सकता है |
54     *चाल : इकाई समय में चली गई दूरी को चाल कहते हैं | यह अदिश राशि है, इसका मात्रक मी/से. होता है | यह धनात्मक होता है |
55     *वेग : इकाई समय में निश्चित दिशा में तय की गई दूरी को वेग कहते हैं, यह सदिश राशि है, इसका मात्रक मी/से. होता है | यह धनात्मक, ऋणात्मक तथा शून्य भी हो सकता है |
56     *त्वरण : किसी वस्तु के वेग मे परिवर्तन की दर को त्वरण कहते हैं | यह एक सदिश राशि है | इसका एस. आई. मात्रक मी./से2 होता है | यदि समय के साथ-साथ वस्तु का वेग घटता है तो त्वरण ऋणात्मक होता है, इसे मंदक कहते हैं | त्वरण का सूत्र a = u + vt होता है |
57     *किसी पिंड का त्वरण शून्य होगा यदि वस्तु का समान समय में विस्थापन समान हो |
58     *ऊपर फेकी जाने वाली वस्तु का त्वरण ऋणात्मक होता है |
59     *विराम : जब किसी पिंड की स्थिति किसी निर्दिष्ट बिंदु के सापेक्ष समय के साथ नहीं बदलती हैं, तब वह पिंड स्थिर या विराम में कहलाता है |
60     *गति : जब किसी पिंड की स्थिति किसी निर्दिष्ट बिंदु के सापेक्ष समय के साथ बदलती हैं, तब वह पिंड गतिमान या गति में कहलाता है |
61     *रैखिक गति : जब कोई वस्तु किसी सरल रेखा में गमन करता है, तब उस गति को रैखिक गति कहते हैं, जैसे ट्रेन की गति |
62     *आवर्ती गति : जब कोई वस्तु निश्चित समयांतराल में अपनी गति को बार बार दुहराता है तो उसे आवर्ती गति कहते हैं,जैसे पृथ्वी की गति, पेंडूलम की गति आदि |
63     *दोलन गति : जब कोई वस्तु किसी निश्चित बिंदु के आगे पीछे गति करता है, इसे दोलन गति कहते हैं, जैसे झूले की गति, पेंडूलम की गति आदि |
64     *वृत्तीय गति : जब कोई वस्तु वृत्ताकार मार्ग पर गति करती है तो उसकी गति को ‘वृत्तीय गति’ कहते हैं | जैसे पृथ्वी की गति, नाभिक के चारों ओर इलेक्ट्रान की गति |
65     *एक समान वृत्तीय गति में चाल अचर एवं वेग चर होता है |
66     *कोणीय वेग : वृत्ताकार मार्ग पर गतिशील कण को वृत्त के केंद्र से मिलाने वाली रेखा एक सेकेंड में जितने कोण से घूम जाती है, उसे उस कोण का कोणीय वेग कहते हैं | इसे (ओमेगा) से प्रकट करते हैं |
67     *गति के समीकरण : (1)    v = u+at       (2)   s = ut + at2            (3)  v2 = u2 + 2as  ( जहां u=प्रारम्भिक वेग, v=अंतिम वेग, a=त्वरण,एवं s=t सेकेंड में चली गई दूरी |
68     *समुद्र की गहराई फैदम में तथा दूरी नाटिकल मील द्वारा मापा जाता है |
69     *यदि डोरी की लम्बाई  तथा गुरूत्वीय त्वरण g हो, तो सरल लोलक का आवर्तकाल T = 2  होता है |
70     *यदि लोलक की लम्बाई 4 गुनी कर दी जाए तो, लोलक झूलने का समय 2 गुना हो जायेगा |
71     *लोलक की लम्बाई बढ़ने पर आवर्त काल बढ़ जायेगा | यहीं कारण है कि यदि कोई व्यक्ति झूला खूलने के क्रम में खड़ा हो जाये तो उसका गुरूत्व केंद्र ऊपर उठ जाता है जिसके फलस्वरूप लम्बाई घट जायेगी इस कारण आवर्त्तकाल घट जाएगा, अर्थात् झूला जल्दी-जल्दी दोलन करेगा |
72     *लोलक को पृथ्वी से ऊपर या नीचे ले जाने पर आवर्त्त काल बढ़ जाता है, क्योंकि गुरूत्वीय त्वरण कम हो जाता है |
73     *लोलक घड़ी को उपग्रह में ले जाने पर आवर्तकाल अनंत हो जाता है (क्योंकि g = 0), इस कारण लोलक घड़ी काम नहीं करेगी |
74     *चंद्रमा पर लोलक घड़ी का आवर्तकाल बढ़ जाता है, क्योंकि g का मान घट जाता है |
75     *गर्मी में लोलक की लम्बाई बढ़ जाती है इस कारण आवर्त्तकाल बढ़ जाता है, अत: घड़ी सुस्त हो जाती है |
76     *जाड़े में लोलक की लम्बाई घट जाती है इस कारण आवर्त्तकाल घट जाता है, अत: घड़ी तेज हो जाती है |
77     *पृथ्वी के केंद्र में g का मान शून्य होता है, अत: पेंडुलम वाली घड़ी का आवर्तकाल अनंत हो जाता है, अत: घड़ी काम नहीं करेगी |
78     *झूले पर एक व्यक्ति की जगह दो व्यक्ति बैठ जायें, तो इसका आवर्तकाल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि आवर्तकाल द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है |
79     *K बल नियतांक के एक स्प्रिंग को दो समान भागों में काट दिया जाये तो प्रत्येक भाग का बल नियतांक  2K होगा |
80     *सरल आवर्त गति में गतिशील कण के महत्तम विस्थापन पर त्वरण का मान शून्य होता है |
81     *सरल आवर्त गति की गतिज ऊर्जा प्रत्येक आवर्त में दो बार शून्य होती है |
82     *सेकेंड लोलक का चंद्रमा पर आवर्तकाल 5 सेकेंड होगा |
83     *दोलन करते लोलक की स्थितिज ऊर्जा चरमावस्था पर अधिकतम होगी |
84     *किसी पेंडुलम की लम्बाई दुगनी कर देने पर उसका आवर्तकाल गुना बढ़ जायेगा |
85     *सेकेंड पेंडुलम का आवर्तकाल 2 सेकेंड होता है |
86     *चद्रमा पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता रहता है, चंद्रमा की यह गति आवर्त गति कहलाती है |
87     * भौतिकी के पिता न्यूटन ने सन 1686 ई. में अपनी पुस्तक ‘प्रिंसिपिया’ में सबसे पहले गति के नियमों का प्रतिपादन किया |
88     *न्यूटन का प्रथम गति नियम : प्रत्येक वस्तु अपनी यथा स्थिति में तब तक बनी रहती है, जब तक कोई असंतुलित बल लगाकर उसकी स्थिति मे परिवर्तन के लिए बाध्य न किया जाये | इसे गैलिलियो का जड़त्व नियम भी कहा जाता है | न्यूटन का प्रथम गति नियम बल को परिभाषित करता है |
89     *जड़त्व : किसी द्रव्यात्मक वस्तु का वह गुण जिससे कि वस्तु सदैव समान अवस्था में बनी रहती है, उसे जड़त्व कहते हैं | द्रव्यमान वस्तु के जड़त्व का संख्यात्मक मान है | जड़त्व का उदाहरण: चलती हुई कार के अचानक रूक जाने पर उसमें बैठे व्यक्ति आगे झुक जाते हैं |
90     *न्यूटन का द्वितीय नियम : किसी वस्तु पर आरोपित बल F वस्तु के द्रव्यमान m तथा उसमें उत्पन्न त्वरण a के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती होता हैं तथा त्वरण की दिशा वहीं होती है जो की बल की होती है | F = m x a
91     *न्यूटन के द्वितीय नियम से बल की माप एवं मात्रक मिलती है |
92     *न्यूटन का तृतीय नियम : प्रत्येक क्रिया के बराबर, परंतु विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है | न्यूटन के तृतीय नियम से बल का गुण प्राप्त होता है |
93     *संवेग : किसी वस्तु के द्रव्यमान तथा वेग के गुणनफल को उस वस्तु का संवेग कहते हैं | इसका मात्रक – किग्राxमी./सेकेंड होता है |
94     *संवेग संरक्षण का सिद्धांत : यदि कणों के किसी निकाय या समूह पर कोई बाह्य बल नहीं लग रहा हो, तो उस निकाय का कुल संवेग नियत रहता है, अर्थात टक्कर से पहले तथा बाद का संवेग बराबर होता है |
95     *बल का आवेग : किसी वस्तु पर कार्य करने वाले बल और समय के गुणनफल को बल का आवेग कहते हैं |
96     *न्यूटन : वह बल जो 1 किग्रा. द्रव्यमान की वस्तु मे 1 मी.से2 का त्वरण उत्पन्न कर देता है उसे 1 न्यूटन कहते हैं |
97     *किसी गतिशील वस्तु को रोकने हेतु आवश्यक बल, वस्तु के वेग पर निर्भर करता है |
98     *ऐसी मशीन जिसकी दक्षता शत-प्रतिशत हो, आदर्श मशीन कहलाती है | आदर्श मशीन पूर्णत: घर्षण रहित होती है, परंतु व्यवहारिकता में ऐसा सम्भव नहीं है |
99     *दूध से मक्खन निकालने की मशीन, कपडा सुखाने की मशीन अपकेंद्रीय बल के सिद्धांत पर कार्य करती है |
100    *घिरनियाँ सरल मशीन का मुख्य उदाहरण मानी जाती हैं |
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भौतिक विज्ञान 1500 प्रश्न उत्तर Part 1 भौतिक विज्ञान 1500 प्रश्न उत्तर Part 1 Reviewed by vishal on October 18, 2018 Rating: 5

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