भौतिक विज्ञान 1500 प्रश्न उत्तर Part 2
101 *उत्तोलक : उत्तोलक एक सीधी या टेढ़ी छड़ होती है, जो किसी निश्चित बिंदु के चारों ओर स्वतंत्रता पूर्वक घूम सकती है | उत्तोलक के तीन मुख्य भाग होते हैं – 1. आलम्ब : जिस निश्चित बिंदु के चारो ओर उत्तोलक की छड़ स्वतंत्रतापूर्वक घूम सकती है, उसे आलम्ब कहते हैं |इसे F से सूचित किया जाता है | 2. आयास : उत्तोलक को उपयोग में लाने के लिए उसकी छड़ पर जो बल लगाया जाता है, उसे आयास कहते हैं | इसे E से सूचित किया जाता है | 3. भार : उत्तोलक छड़ के द्वारा जो बोझ उठाया जाता है, उसे भार कहते हैं | इसे W से सूचित किया जाता है |
102 *उत्तोलक का यांत्रिक लाभ =
103 *उत्तोलक का सिद्धांत : आयास x आयास भुजा = भार x भार भुजा
104 * प्रथम श्रेणी के उत्तोलक : प्रथम श्रेणी के उत्तोलक में भार बीच में होता है | इस प्रकार के उत्तोलकों में यांत्रिक लाभ 1 से अधिक, 1 के बराबर एवं 1 से कम भी हो सकता है | कैची, पिलास, कील उखाड़ने की मशीन आदि प्रथम श्रेणी के उत्तोलक हैं |
105 * द्वितीय श्रेणी के उत्तोलक : द्वितीय श्रेणी के उत्तोलकों में यांत्रिक लाभ सदैव 1 अधिक होता है | सरौता, नीबू निचोड़ने की मशीन, एक पहिये की कूड़ा गाडी द्वितीय श्रेणी के उत्तोलक हैं |
106 *तृतीय श्रेणी के उत्तोलक : तृतीय श्रेणी के उत्तोलकों में यांत्रिक लाभ सदैव 1 से कम होता है |चिमटा, हाथ तृतीय श्रेणी के उत्तोलक हैं |
107 *गुरूत्वाकर्षण : अपने द्रव्यामान के कारण दो वस्तुएं एक-दूसरे को जिस बल से अपनी ओर आकर्षित करती हैं, उस बल को गुरूत्वाकर्षण बल कहते हैं |
108 *किसी पिंड पर आरोपित गुरूत्व बल के कारण पिंड में जो त्वरण उत्पन्न होता है, उसे गुरूत्वीय त्वरण (g) कहते हैं |
109 *गुरूत्वीय त्वरण का मान 9.8 मी./से.2 होता है | g = GM / R2 होता है (जहाँ G = गुरूत्वाकर्षण नियतांक, M = पृथ्वी का द्रव्यमान, R = पृथ्वी की त्रिज्या)
110 गुरूत्वीय त्वरण का मान ध्रुवों पर अधिकतम एवं भूमध्य रेखा पर न्यूनतम होता है | g का मान पृथ्वी के केंद्र पर शून्य होता है | पृथ्वी तल से नीचे या ऊपर आने पर g का मान घटता है |गुरूत्वीय त्वरण g का मान वस्तु के रूप, आकार, द्रव्यमान आदि पर निर्भर नहीं करता है |
111 *पृथ्वी की घूर्णन गति बढ़ने पर g का मान कम हो जाता है तथा घूर्णन गति घटने पर g का मान बढ़ जाता है |
112 *पृथ्वी का द्रव्यमान वहीं रहे और त्रिज्या 1% कम हो जाये, तब पृथ्वी तल पर g का मान 0.5% बढ़ जायेगा |
113 *भार : जिस बल द्वारा पृथ्वी किसी वस्तु को अपने केंद्र की ओर खींचती है, उस बल को वस्तु का भार कहते हैं | भार (W) = mg
114 *पृथ्वी के केंद्र पर भार शून्य होता है |
115 *भार एक सदिश राशि है, भार को कमानीदार तुला से मापा जाता है |
116 *1 किग्रा. राशि का वजन 9.8 न्यूटन होता है |
117 *एक वस्तु का भार अधिकतम वायु में होता है |
118 *वस्तु का भार गुरूत्व-केंद्र से ठीक नीचे की ओर कार्य करता है | अत: गुरूत्व-केंद्र पर वस्तु के भार के बराबर उपरिमुखी बल लगाकर हम वस्तु को संतुलित रख सकते हैं |
119 *स्थायी संतुलन के लिए वस्तु का गुरूत्व-केंद्र G अधिकाधिक नीचे होना चाहिए, गुरूत्व केंद्र से होकर जाने वाली उर्ध्वाधर रेखा वस्तु के आधार से गुजरनी चाहिए |
120 *पीसा की मीनार तिरछी होते हुए भी नहीं गिरती है, क्योंकि उसके गुरूत्व-केंद्र से गुजरने वाली उर्ध्वाधर रेखा उसके आधार से होकर जाती है |
121 *राकेट का पलायन न्यूटन के तृतीय नियम पर आधारित होता है |
122 *प्रक्षेप्य पथ परवलयाकार होता है |
123 *भू-स्थिर उपग्रह का परिक्रण काल 24 घंटा होता है | भू-स्थिर उपग्रह विषुवत रेखा से 35800 किमी. की ऊचाई पर होते हैं |
124 *पृथ्वी के अपेक्षा चंद्रमा का द्रव्यमान 1/81 है |
125 *पृथ्वी की त्रिज्या चंद्रमा की त्रिज्या से लगभग 4 गुनी अधिक है |
126 *गुरूत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम का प्रतिपादन न्यूटन ने किया |
127 *पलायन वेग वह न्यूनतम वेग है जिससे किसी पिंड को पृथ्वी की सतह से ऊपर की ओर फेके जाने पर वह गुरूत्वीय क्षेत्र को पार कर जाता है, तथा वह पृथ्वी पर वापस नहीं आता है |
128 *पृथ्वी के लिए पलायन वेग 11.2 किमी./से. होता है |
129 * सौर मण्डल के लिए पलायन वेग 42 किमी./से. होता है |
130 * चंद्रमा के लिए पलायन वेग 2.37 किमी./से. होता है |
131 *चंद्रमा का पलायन वेग कम होने के कारण वहाँ वायुमण्डल टिक नहीं पाता है
132 *पलायन वेग कक्षीय वेग का गुना होता है, इसलिए यदि किसी उपग्रह की कक्षीय वेग को गुना (अर्थात् 41%) बढ़ा दिया जाये, तो वह अपनी कक्षा छोड़कर पलायन कर जायेगा |
133 *चंद्रमा पर किसी पिण्ड का भार, पृथ्वी पर उसके भार का 1/6 गुना होता है |
134 *कृत्रिम उपग्रह के अंदर प्रत्येक वस्तु भारहीनता की स्थिति में होती है | भारहीनता की स्थिति गुरूत्वाकर्षण की शून्य स्थिति के कारण होती है |
135 *एक उपग्रह पृथ्वी के घूर्णन की दिशा में पृथ्वी का परिक्रमण कर रहा है, इस उपग्रह में से एक प्रेक्षक को पृथ्वी पर भूमध्य रेखा पर स्थित एक बिंदु प्रत्येक 8 घण्टे के बाद दिखता है, तो इसका अर्थ है कि उपग्रह 16 घंटे में पृथ्वी की एक परिक्रमा पूरा करता है |
136 *चंद्रमा को अपने अक्ष के सापेक्ष एक चक्कर लगाने में करीब 28 दिन का समय लगता है |
137 *मानव द्वारा बनाये गये उपग्रह थर्मोस्फीयर में स्थापित किये जाते हैं |
138 *अंतरिक्ष यात्री को आकाश काला दिखाई देता है |
139 *दूध से क्रीम अलग करने पर दूध का घनत्व बढ़ जाता है |
140 *कपडा सुखाने की मशीन तथा दूध से मक्खन निकालने की मशीन अपकेंद्रीय बल के सिद्धांत पर कार्य करती है |
141 *स्प्रिंग को अपनी सामान्य लम्बाई पर वापस लौटने के लिए लगने वाले बल को प्रत्यानयन बल कहते हैं |
142 *क्रायोजेनिक इंजनों का प्रयोग राकेट प्रौद्योगिकी में होता है |
143 *45 के कोण पर किसी वस्तु को प्रक्षेपित किया जाये तो वह अधिकतम दूरी तय करेगा |
144 *90 के कोण पर किसी वस्तु को प्रक्षेपित किया जाये तो वह अधिकतम ऊँचाई तय करेगा |
145 *वस्तु की मात्रा बढ़ाने पर भार ऐसा भौतिक गुण है जो अपरिवर्तित रहता है |
146 *पहाड़ पर चढ़ता हुआ व्यक्ति स्थायित्व बढ़ाने के लिए आगे की ओर झुक जाता है |
147 *गतिशील ट्रेन की खिड़की से एक पत्थर गिरा दिया जाये तो पत्थर पृथ्वी पर परवलयाकार पथ बनाते हुए गिरेगा |
148 *बंदर के सिर पर गोली मारने के लिए निशाना बंदर के सिर के ऊपर लेना होगा |
149 *साइकिल के पहिए की गति घूर्णन के साथ-साथ स्थानांतरीय होती है |
150 *एक समान वेग से गतिशील ट्रेन में एक यात्री एक गेंद को ऊपर उछलता है, तो गेंद यात्री के हाथ में वापस आयेगी |
151 *जब गोली किसी लक्ष्य पर लगती है, तो यह गल जाती है, क्योंकि इसकी गति संबंधी ऊर्जा उष्मा में बदल जाती है, क्योंकि यह अवरोधक द्वारा रोक दिया जाता है |
152 *एक वस्तु 9.8 मी./से. के वेग से ऊर्ध्वाधरत: ऊपर फेंकी जाती है, वह 14.7 मी. ऊंचाई तक ऊपर जायेगी (g = 9.8 m/s2)|
153 *साइकिल के पहिए के रिम भारी एवं मोटे बनाये जाते हैं तथा बीच का भाग पतला या खोखला बनाया जाता है, इससे जड़त्व आघूर्ण बढ़ जाता है |
154 *कोई वस्तु विरामावस्था से चलकर 5 सेकेंड मे 2 मी/से2 का त्वरण उत्पन्न करता है, तो इसका अंतिम वेग 10 मी/से. होगा |
155 *दो वस्तुएँ जिनका वेग क्रमश: 5 मी/से. तथा 10 मी.से. हो एक ही सरल रेखा में विपरीत दिशा में चल रही हो, उसका आपेक्षिक वेग 15 मी.से. होगा |
156 *घर्षण गुणांक का कोई मात्रक नहीं होता है |
157 *चरम घर्षण बल सबसे बड़ा होता है |
158 *दाब, बल और क्षेत्रफल पर निर्भर करता है | दाब (P) = h x d x g
159 *बल बढ़ाने पर दाब का मान बढ़ जाता है तथा क्षेत्रफल बढ़ाने पर बल का मान कम हो जाता है |
160 *दाब का मात्रक न्यूटन/मी2 (पास्कल) होता है यह एक अदिश राशि है |
161 *गहराई बढ़ने से द्रव दाब बढ़ता है |
162 *एक ही गहराई पर सभी दिशाओं में समान दाब लगता है |
163 *दाब द्रव के घनत्व पर निर्भर करता है, द्रव का घनत्व जितना ही अधिक होगा उसका दाब किसी गहराई पर उतना ही अधिक होगा |
164 *यदि गुरूत्वीय प्रभाव को नगण्य माना जाय, तो संतुलन की अवस्था में द्रव के भीतर प्रत्येक बिंदु पर दबाव समान होगा |
165 *सभी द्रवों का क्वथनांक दाब बढ़ाने से बढ़ जाता है |
166 *वायुमंडलीय दाब वह दाब होता है, जो पारे के 76 सेमी. वाले एक कॉलम के द्वारा 0 पर 45 अक्षांश पर समुद्र तल पर लगाया जाता है |
167 *वायुमण्डलीय दाब का एस.आइ. मात्रक बार होता है | 1 बार = 105 न्यूटन/मी.2
168 *वायुमण्डलीय दाब एक बार के बराबर होता है |
169 *पृथ्वी की सतह से ऊपर जाने पर वायुमंडलीय दाब कम होता जाता है, इसी कारण पहाड़ों पर खाना बनाने में कठिनाई होती है तथा वायुयान में बैठे यात्री के फाउंटेन पेन की स्याही रिस जाती है |
170 *प्रति 1000 फुट ऊपर जाने पर वायु का दाब पारा-स्तम्भ का 1 इंच (=2.54 सेमी.) कम हो जाता है |
171 *वायुदाबमापी में पारे के स्थान पर पानी भरने पर नली की ऊंचाई 10.33 मीटर होगा |
172 *ताँबे की गेंद को गर्म करने पर इसका घनत्व घटता है |
173 *प्रेशर कुकर में खाना जल्दी पकता है, क्योंकि अंदर क्वथनांक अधिक होने लगता है |
174 *पिंड का हवा में भार 100 ग्राम है और पानी में डालने पर भार सिर्फ 92 ग्राम है, तो उस पिंड का आयतन 8cc होगा |
175 *किसी गैस का आयतन स्थिर ताप पर 20% कम करने के लिए उसका दाब 20% बढ़ाना होगा |
176 *परम दाब गेज दाब +1 बार होता है |
177 *एक नदी में चलता हुआ जहाज समुद्र में आता है, तो जहाज का स्तर थोड़ा ऊपर हो जाता है |
178 *ऑटोमोबाइल्स के हाइड्रोलिक ब्रेक पास्कल के सिद्धांत पर कार्य करते हैं |
179 *समुद्र में घनत्व बढ़ता है, तो लवणता और गहराई दोनों बढ़ती है |
180 *भारी बाहन में डीजल का उपयोग उच्च क्षमता और आर्थिक बचत के लिए किया जाता है |
181 *द्रव का वह गुण, जिसके कारण वह वस्तुओं पर ऊपर की ओर एक बल लगाता है, ‘उत्प्लावक बल’ कहते हैं | यह बल वस्तुओं द्वारा हटाये गये गुरूत्व-केंद्र पर कार्य करता है | इसका सर्वप्रथम अध्ययन आर्किमीडिज ने किया था |
182 *आर्किमीडिज के अनुसार अगर कोई वस्तु किसी शांत और स्थिर तरल में अंशत: या पूर्णत: डूबती है, तो इसके भार में आभासी कमी आती है, जो कमी वस्तु के द्वारा विस्थापित तरल के भार के बराबर होती है |
183 *प्लवन के नियमानुसार तैरने वाली वस्तु का वजन इसके द्वारा विस्थापित द्रव के वजन के बराबर होना चाहिए तथा वस्तु का गुरूत्व केंद्र और वस्तु के द्वारा विस्थापित द्रव का गुरूत्व केंद्र एक ही उदग्र रेखा पर होना चाहिए |
184 *घनत्व = द्रव्यमान / आयतन (इसका मात्रक किग्रा/मी3 होता है) |
185 *आपेक्षिक घनत्व = वस्तु का घनत्व / 4 पर पानी का घनत्व |
186 *आपेक्षिक घनत्व का कोई मात्रक नहीं होता है | आपेक्षिक घनत्व को हाइड्रोमीटर से मापा जाता है |
187 *यदि वस्तु का घनत्व द्रव के घनत्व से कम है, तो वह उस द्रव में तैरती है |
188 *लोहा पारे पर तैरता है, क्योंकि लोहे का घनत्व पारे की अपेक्षा कम होता है |
189 *शुद्ध जल का घनत्व 1 ग्राम/सेमी.3 होता है |
190 *बर्फ का घनत्व 0.9 ग्राम/सेमी.3 होता है |
191 *दूध की शुद्धता लैक्टोमीटर से मापते हैं |
192 *पानी पर तैरती वस्तु का आभासी भार शून्य होता है |
193 *एक पिंड किसी द्रव्य में तैर रहा है, पिंड और द्रव्य का घनत्व बराबर है, अगर पिंड को नीचे की ओर दबाकर छोड़ दिया जाये, तो जहाँ उसे छोड़ा जायेगा वह वहीं रहेगा |
194 *चौराहे पर पानी के फुहारे में गेंद नाचती रहती है, क्योंकि पानी का वेग अधिक होने से दाब घट जाता है |
195 *एक ही पदार्थ के अणुओं के मध्य लगने वाले आकर्षण बल को ससंजक बल कहते हैं |
196 *ठोसों का ससंजक बल अधिक तथा द्रवों का ससंजक बल कम होता है |
197 *दो भिन्न पदार्थ के अणुओं के मध्य लगने वाले आकर्षण बल को आसंजक बल कहते हैं |
198 *पानी का कांच को भिंगोना, ब्लैक बोर्ड पर चॉक का लिखना आसंजक बल के कारण होता है |
199 *जब आसंजक बल का मान द्रव के ससंजक बल के मान से कम होता है, तो वह ठोस को गीला नहीं कर पाता है |जैसे- पारा के सतह पर तेल फैल जाता है, थर्मामीटर में पारा नहीं चिपकता है |
200 *द्रव का वह गुण जिसके कारण कम से कम क्षेत्रफल प्राप्त करने की प्रवृत्ति होती है तथा स्वतंत्र पृष्ठ सदैव तनाव की स्थिति में रहता है, को पृष्ठ तनाव कहते हैं |
102 *उत्तोलक का यांत्रिक लाभ =
103 *उत्तोलक का सिद्धांत : आयास x आयास भुजा = भार x भार भुजा
104 * प्रथम श्रेणी के उत्तोलक : प्रथम श्रेणी के उत्तोलक में भार बीच में होता है | इस प्रकार के उत्तोलकों में यांत्रिक लाभ 1 से अधिक, 1 के बराबर एवं 1 से कम भी हो सकता है | कैची, पिलास, कील उखाड़ने की मशीन आदि प्रथम श्रेणी के उत्तोलक हैं |
105 * द्वितीय श्रेणी के उत्तोलक : द्वितीय श्रेणी के उत्तोलकों में यांत्रिक लाभ सदैव 1 अधिक होता है | सरौता, नीबू निचोड़ने की मशीन, एक पहिये की कूड़ा गाडी द्वितीय श्रेणी के उत्तोलक हैं |
106 *तृतीय श्रेणी के उत्तोलक : तृतीय श्रेणी के उत्तोलकों में यांत्रिक लाभ सदैव 1 से कम होता है |चिमटा, हाथ तृतीय श्रेणी के उत्तोलक हैं |
107 *गुरूत्वाकर्षण : अपने द्रव्यामान के कारण दो वस्तुएं एक-दूसरे को जिस बल से अपनी ओर आकर्षित करती हैं, उस बल को गुरूत्वाकर्षण बल कहते हैं |
108 *किसी पिंड पर आरोपित गुरूत्व बल के कारण पिंड में जो त्वरण उत्पन्न होता है, उसे गुरूत्वीय त्वरण (g) कहते हैं |
109 *गुरूत्वीय त्वरण का मान 9.8 मी./से.2 होता है | g = GM / R2 होता है (जहाँ G = गुरूत्वाकर्षण नियतांक, M = पृथ्वी का द्रव्यमान, R = पृथ्वी की त्रिज्या)
110 गुरूत्वीय त्वरण का मान ध्रुवों पर अधिकतम एवं भूमध्य रेखा पर न्यूनतम होता है | g का मान पृथ्वी के केंद्र पर शून्य होता है | पृथ्वी तल से नीचे या ऊपर आने पर g का मान घटता है |गुरूत्वीय त्वरण g का मान वस्तु के रूप, आकार, द्रव्यमान आदि पर निर्भर नहीं करता है |
111 *पृथ्वी की घूर्णन गति बढ़ने पर g का मान कम हो जाता है तथा घूर्णन गति घटने पर g का मान बढ़ जाता है |
112 *पृथ्वी का द्रव्यमान वहीं रहे और त्रिज्या 1% कम हो जाये, तब पृथ्वी तल पर g का मान 0.5% बढ़ जायेगा |
113 *भार : जिस बल द्वारा पृथ्वी किसी वस्तु को अपने केंद्र की ओर खींचती है, उस बल को वस्तु का भार कहते हैं | भार (W) = mg
114 *पृथ्वी के केंद्र पर भार शून्य होता है |
115 *भार एक सदिश राशि है, भार को कमानीदार तुला से मापा जाता है |
116 *1 किग्रा. राशि का वजन 9.8 न्यूटन होता है |
117 *एक वस्तु का भार अधिकतम वायु में होता है |
118 *वस्तु का भार गुरूत्व-केंद्र से ठीक नीचे की ओर कार्य करता है | अत: गुरूत्व-केंद्र पर वस्तु के भार के बराबर उपरिमुखी बल लगाकर हम वस्तु को संतुलित रख सकते हैं |
119 *स्थायी संतुलन के लिए वस्तु का गुरूत्व-केंद्र G अधिकाधिक नीचे होना चाहिए, गुरूत्व केंद्र से होकर जाने वाली उर्ध्वाधर रेखा वस्तु के आधार से गुजरनी चाहिए |
120 *पीसा की मीनार तिरछी होते हुए भी नहीं गिरती है, क्योंकि उसके गुरूत्व-केंद्र से गुजरने वाली उर्ध्वाधर रेखा उसके आधार से होकर जाती है |
121 *राकेट का पलायन न्यूटन के तृतीय नियम पर आधारित होता है |
122 *प्रक्षेप्य पथ परवलयाकार होता है |
123 *भू-स्थिर उपग्रह का परिक्रण काल 24 घंटा होता है | भू-स्थिर उपग्रह विषुवत रेखा से 35800 किमी. की ऊचाई पर होते हैं |
124 *पृथ्वी के अपेक्षा चंद्रमा का द्रव्यमान 1/81 है |
125 *पृथ्वी की त्रिज्या चंद्रमा की त्रिज्या से लगभग 4 गुनी अधिक है |
126 *गुरूत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम का प्रतिपादन न्यूटन ने किया |
127 *पलायन वेग वह न्यूनतम वेग है जिससे किसी पिंड को पृथ्वी की सतह से ऊपर की ओर फेके जाने पर वह गुरूत्वीय क्षेत्र को पार कर जाता है, तथा वह पृथ्वी पर वापस नहीं आता है |
128 *पृथ्वी के लिए पलायन वेग 11.2 किमी./से. होता है |
129 * सौर मण्डल के लिए पलायन वेग 42 किमी./से. होता है |
130 * चंद्रमा के लिए पलायन वेग 2.37 किमी./से. होता है |
131 *चंद्रमा का पलायन वेग कम होने के कारण वहाँ वायुमण्डल टिक नहीं पाता है
132 *पलायन वेग कक्षीय वेग का गुना होता है, इसलिए यदि किसी उपग्रह की कक्षीय वेग को गुना (अर्थात् 41%) बढ़ा दिया जाये, तो वह अपनी कक्षा छोड़कर पलायन कर जायेगा |
133 *चंद्रमा पर किसी पिण्ड का भार, पृथ्वी पर उसके भार का 1/6 गुना होता है |
134 *कृत्रिम उपग्रह के अंदर प्रत्येक वस्तु भारहीनता की स्थिति में होती है | भारहीनता की स्थिति गुरूत्वाकर्षण की शून्य स्थिति के कारण होती है |
135 *एक उपग्रह पृथ्वी के घूर्णन की दिशा में पृथ्वी का परिक्रमण कर रहा है, इस उपग्रह में से एक प्रेक्षक को पृथ्वी पर भूमध्य रेखा पर स्थित एक बिंदु प्रत्येक 8 घण्टे के बाद दिखता है, तो इसका अर्थ है कि उपग्रह 16 घंटे में पृथ्वी की एक परिक्रमा पूरा करता है |
136 *चंद्रमा को अपने अक्ष के सापेक्ष एक चक्कर लगाने में करीब 28 दिन का समय लगता है |
137 *मानव द्वारा बनाये गये उपग्रह थर्मोस्फीयर में स्थापित किये जाते हैं |
138 *अंतरिक्ष यात्री को आकाश काला दिखाई देता है |
139 *दूध से क्रीम अलग करने पर दूध का घनत्व बढ़ जाता है |
140 *कपडा सुखाने की मशीन तथा दूध से मक्खन निकालने की मशीन अपकेंद्रीय बल के सिद्धांत पर कार्य करती है |
141 *स्प्रिंग को अपनी सामान्य लम्बाई पर वापस लौटने के लिए लगने वाले बल को प्रत्यानयन बल कहते हैं |
142 *क्रायोजेनिक इंजनों का प्रयोग राकेट प्रौद्योगिकी में होता है |
143 *45 के कोण पर किसी वस्तु को प्रक्षेपित किया जाये तो वह अधिकतम दूरी तय करेगा |
144 *90 के कोण पर किसी वस्तु को प्रक्षेपित किया जाये तो वह अधिकतम ऊँचाई तय करेगा |
145 *वस्तु की मात्रा बढ़ाने पर भार ऐसा भौतिक गुण है जो अपरिवर्तित रहता है |
146 *पहाड़ पर चढ़ता हुआ व्यक्ति स्थायित्व बढ़ाने के लिए आगे की ओर झुक जाता है |
147 *गतिशील ट्रेन की खिड़की से एक पत्थर गिरा दिया जाये तो पत्थर पृथ्वी पर परवलयाकार पथ बनाते हुए गिरेगा |
148 *बंदर के सिर पर गोली मारने के लिए निशाना बंदर के सिर के ऊपर लेना होगा |
149 *साइकिल के पहिए की गति घूर्णन के साथ-साथ स्थानांतरीय होती है |
150 *एक समान वेग से गतिशील ट्रेन में एक यात्री एक गेंद को ऊपर उछलता है, तो गेंद यात्री के हाथ में वापस आयेगी |
151 *जब गोली किसी लक्ष्य पर लगती है, तो यह गल जाती है, क्योंकि इसकी गति संबंधी ऊर्जा उष्मा में बदल जाती है, क्योंकि यह अवरोधक द्वारा रोक दिया जाता है |
152 *एक वस्तु 9.8 मी./से. के वेग से ऊर्ध्वाधरत: ऊपर फेंकी जाती है, वह 14.7 मी. ऊंचाई तक ऊपर जायेगी (g = 9.8 m/s2)|
153 *साइकिल के पहिए के रिम भारी एवं मोटे बनाये जाते हैं तथा बीच का भाग पतला या खोखला बनाया जाता है, इससे जड़त्व आघूर्ण बढ़ जाता है |
154 *कोई वस्तु विरामावस्था से चलकर 5 सेकेंड मे 2 मी/से2 का त्वरण उत्पन्न करता है, तो इसका अंतिम वेग 10 मी/से. होगा |
155 *दो वस्तुएँ जिनका वेग क्रमश: 5 मी/से. तथा 10 मी.से. हो एक ही सरल रेखा में विपरीत दिशा में चल रही हो, उसका आपेक्षिक वेग 15 मी.से. होगा |
156 *घर्षण गुणांक का कोई मात्रक नहीं होता है |
157 *चरम घर्षण बल सबसे बड़ा होता है |
158 *दाब, बल और क्षेत्रफल पर निर्भर करता है | दाब (P) = h x d x g
159 *बल बढ़ाने पर दाब का मान बढ़ जाता है तथा क्षेत्रफल बढ़ाने पर बल का मान कम हो जाता है |
160 *दाब का मात्रक न्यूटन/मी2 (पास्कल) होता है यह एक अदिश राशि है |
161 *गहराई बढ़ने से द्रव दाब बढ़ता है |
162 *एक ही गहराई पर सभी दिशाओं में समान दाब लगता है |
163 *दाब द्रव के घनत्व पर निर्भर करता है, द्रव का घनत्व जितना ही अधिक होगा उसका दाब किसी गहराई पर उतना ही अधिक होगा |
164 *यदि गुरूत्वीय प्रभाव को नगण्य माना जाय, तो संतुलन की अवस्था में द्रव के भीतर प्रत्येक बिंदु पर दबाव समान होगा |
165 *सभी द्रवों का क्वथनांक दाब बढ़ाने से बढ़ जाता है |
166 *वायुमंडलीय दाब वह दाब होता है, जो पारे के 76 सेमी. वाले एक कॉलम के द्वारा 0 पर 45 अक्षांश पर समुद्र तल पर लगाया जाता है |
167 *वायुमण्डलीय दाब का एस.आइ. मात्रक बार होता है | 1 बार = 105 न्यूटन/मी.2
168 *वायुमण्डलीय दाब एक बार के बराबर होता है |
169 *पृथ्वी की सतह से ऊपर जाने पर वायुमंडलीय दाब कम होता जाता है, इसी कारण पहाड़ों पर खाना बनाने में कठिनाई होती है तथा वायुयान में बैठे यात्री के फाउंटेन पेन की स्याही रिस जाती है |
170 *प्रति 1000 फुट ऊपर जाने पर वायु का दाब पारा-स्तम्भ का 1 इंच (=2.54 सेमी.) कम हो जाता है |
171 *वायुदाबमापी में पारे के स्थान पर पानी भरने पर नली की ऊंचाई 10.33 मीटर होगा |
172 *ताँबे की गेंद को गर्म करने पर इसका घनत्व घटता है |
173 *प्रेशर कुकर में खाना जल्दी पकता है, क्योंकि अंदर क्वथनांक अधिक होने लगता है |
174 *पिंड का हवा में भार 100 ग्राम है और पानी में डालने पर भार सिर्फ 92 ग्राम है, तो उस पिंड का आयतन 8cc होगा |
175 *किसी गैस का आयतन स्थिर ताप पर 20% कम करने के लिए उसका दाब 20% बढ़ाना होगा |
176 *परम दाब गेज दाब +1 बार होता है |
177 *एक नदी में चलता हुआ जहाज समुद्र में आता है, तो जहाज का स्तर थोड़ा ऊपर हो जाता है |
178 *ऑटोमोबाइल्स के हाइड्रोलिक ब्रेक पास्कल के सिद्धांत पर कार्य करते हैं |
179 *समुद्र में घनत्व बढ़ता है, तो लवणता और गहराई दोनों बढ़ती है |
180 *भारी बाहन में डीजल का उपयोग उच्च क्षमता और आर्थिक बचत के लिए किया जाता है |
181 *द्रव का वह गुण, जिसके कारण वह वस्तुओं पर ऊपर की ओर एक बल लगाता है, ‘उत्प्लावक बल’ कहते हैं | यह बल वस्तुओं द्वारा हटाये गये गुरूत्व-केंद्र पर कार्य करता है | इसका सर्वप्रथम अध्ययन आर्किमीडिज ने किया था |
182 *आर्किमीडिज के अनुसार अगर कोई वस्तु किसी शांत और स्थिर तरल में अंशत: या पूर्णत: डूबती है, तो इसके भार में आभासी कमी आती है, जो कमी वस्तु के द्वारा विस्थापित तरल के भार के बराबर होती है |
183 *प्लवन के नियमानुसार तैरने वाली वस्तु का वजन इसके द्वारा विस्थापित द्रव के वजन के बराबर होना चाहिए तथा वस्तु का गुरूत्व केंद्र और वस्तु के द्वारा विस्थापित द्रव का गुरूत्व केंद्र एक ही उदग्र रेखा पर होना चाहिए |
184 *घनत्व = द्रव्यमान / आयतन (इसका मात्रक किग्रा/मी3 होता है) |
185 *आपेक्षिक घनत्व = वस्तु का घनत्व / 4 पर पानी का घनत्व |
186 *आपेक्षिक घनत्व का कोई मात्रक नहीं होता है | आपेक्षिक घनत्व को हाइड्रोमीटर से मापा जाता है |
187 *यदि वस्तु का घनत्व द्रव के घनत्व से कम है, तो वह उस द्रव में तैरती है |
188 *लोहा पारे पर तैरता है, क्योंकि लोहे का घनत्व पारे की अपेक्षा कम होता है |
189 *शुद्ध जल का घनत्व 1 ग्राम/सेमी.3 होता है |
190 *बर्फ का घनत्व 0.9 ग्राम/सेमी.3 होता है |
191 *दूध की शुद्धता लैक्टोमीटर से मापते हैं |
192 *पानी पर तैरती वस्तु का आभासी भार शून्य होता है |
193 *एक पिंड किसी द्रव्य में तैर रहा है, पिंड और द्रव्य का घनत्व बराबर है, अगर पिंड को नीचे की ओर दबाकर छोड़ दिया जाये, तो जहाँ उसे छोड़ा जायेगा वह वहीं रहेगा |
194 *चौराहे पर पानी के फुहारे में गेंद नाचती रहती है, क्योंकि पानी का वेग अधिक होने से दाब घट जाता है |
195 *एक ही पदार्थ के अणुओं के मध्य लगने वाले आकर्षण बल को ससंजक बल कहते हैं |
196 *ठोसों का ससंजक बल अधिक तथा द्रवों का ससंजक बल कम होता है |
197 *दो भिन्न पदार्थ के अणुओं के मध्य लगने वाले आकर्षण बल को आसंजक बल कहते हैं |
198 *पानी का कांच को भिंगोना, ब्लैक बोर्ड पर चॉक का लिखना आसंजक बल के कारण होता है |
199 *जब आसंजक बल का मान द्रव के ससंजक बल के मान से कम होता है, तो वह ठोस को गीला नहीं कर पाता है |जैसे- पारा के सतह पर तेल फैल जाता है, थर्मामीटर में पारा नहीं चिपकता है |
200 *द्रव का वह गुण जिसके कारण कम से कम क्षेत्रफल प्राप्त करने की प्रवृत्ति होती है तथा स्वतंत्र पृष्ठ सदैव तनाव की स्थिति में रहता है, को पृष्ठ तनाव कहते हैं |
भौतिक विज्ञान 1500 प्रश्न उत्तर Part 2
Reviewed by vishal
on
October 18, 2018
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