भौतिक विज्ञान 1500 प्रश्न उत्तर Part 6
501 *आकाश तथा समुद्र का रंग प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण नीला प्रतीत होता है
502 *प्रकाश किरणों की प्रकृति तरंग एवं कण दोनों के समान होती है |
503 *प्रकाश सीधी रेखा में चलता प्रतीत होता है, क्योंकि इसकी तरंग दैर्ध्य बहुत छोटी होती है |
504 *जब प्रिज्म से प्रकाश किरण गुजरती है तथा रंगों का जो समूह उत्पन्न होता है उसे वर्णक्रम कहते हैं |
505 *हीरे रात में चमकते हैं, क्योंकि उच्च अपवर्तनांक के कारण प्रकाशिकी किरणें आंतरिक रूप से परावर्तित होती हैं |
506 *ज्योति फ्लक्स का मात्रक ल्यूमेन होता है |
507 *इद्रधनुष में लाल रंग का विक्षेपण अधिक होता है |
508 *दो समांतर दर्पणों के बीच धातु के एक गोले को रखा जाता है, इसमें बने प्रतिबिम्बों की संख्या असंख्य होगी |
509 *तारों के टिमटिमाने का कारण वातावरणीय अपवर्तन होता है |
510 *टी.वी.रिमोट में एक छोटा ट्रांसमीटर होता है जिससे अवरक्त सिग्नल निकलता है |
511 *आँख में प्रवेश करने वाले प्रकाश की मात्रा का नियंत्रण परितारिका के द्वारा होता है |
512 *मानव आँख हरा प्रकाश के प्रति सर्वाधिक संवेदनशील होती है |
513 *जल के अंदर वायु का बुलबुला अपसारी (अवतल लेंस) लेंस की भाँति कार्य करता है |
514 *समतल दर्पण 120 कोण पर झुके हैं,तो उनके बीच रखी वस्तु के प्रतिबिम्बों की संख्या तीन होगी |
515 *दृष्टिपटल (रेटिना) पर जो चित्र बनता है वह वस्तु से छोटा व उल्टा होता है |
516 *जब किसी दर्पण को कोण से घूर्णित किया जाये,तो परावर्तित किरण का घूर्णन 2 होगा |
517 *प्रकाश तंतु पूर्ण आंतरिक परावर्तन के सिद्धांत पर कार्य करता है |
518 *एक चश्मे के लेंस की फोकस दूरी -50 सेमी.है, इसकी क्षमता -2D होगी |
519 *विद्युत चुम्बकीय तरंग एवं प्रकाश तरंग का वेग समान होता है |
520 *होलोग्राम किसी वस्तु का त्रिविमीय चित्र होता है |
521 *एक तरंग की आवृत्ति 120Hz है, यदि तरंग की चाल 480 मी./से. हो, तो उसकी तरंग दैर्ध्य 4 मी. होगी |
522 *एक संयुक्त सूक्ष्मदर्शी में अभिदृश्यक एवं नेत्रिका की आवर्धन क्षमताएं क्रमश: m1 एवं m2 हैं, सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता m1 m2 होगी |
523 *किसी भी खोखले चालक के अंदर विद्युत क्षेत्र शून्य होता है | यदि ऐसे चालक को आवेशित किया जाए तो सम्पूर्ण आवेश उसके बाहरी पृष्ठ पर ही रहता है | अत: खोखला गोला एक विद्युत परिक्षक का कार्य करता है | यहीं कारण है कि यदि किसी कार पर तड़ित विद्युत गिर जाये तो कार के अंदर बैठे व्यक्ति पूर्ण सुरक्षित: होते हैं | तड़ित से प्राप्त आवेश कार की बाहरी सतह पर ही रहता है |
524 *विद्युत विभव एवं विभवांतर दोनों ही अदिश राशियां हैं, दोनो का एस.आई.मात्रक वोल्ट होता है |
525 *विद्युत धारा : किसी चालक में विद्युत आवेश के प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहते हैं | विद्युत धारा की दिशा धन आवेश की गति की दिशा की ओर मानी जाती है | इसका एस.आई. मात्रक एम्पियर है | यह एक अदिश राशि है |
526 *विद्युत धारा के प्रवाह की दिशा प्रोटॉन के प्रवाह की दिशा एवं इलेक्ट्रॉन के प्रवाह के विपरीत दिशा की ओर होती है |
527 *अमीटर विद्युत धारा मापता है |
528 *विद्युत धारिता का एस.आइ.मात्रक फैराड होता है |
529 *एक आदर्श अमीटर का प्रतिरोध शून्य होना चाहिए | इसे श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है |
530 *एक आदर्श वोल्ट मीटर का प्रतिरोध अनंत होना चाहिए | इसे समानांतर क्रम में जोड़ा जाता है |
531 *गैल्वेनोमीटर विद्युत परिपथ में विद्युत धारा की उपस्थिति बताने वाला यंत्र है
532 *ट्रांसफार्मर विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करने वाला यंत्र है | यह केवल प्रत्यावर्ती धारा (ए.सी.) के लिए प्रयुक्त किया जाता है |
533 *ए.सी.डायनेमों या जनरेटर विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है |
534 *प्रत्यावर्ती जनित्र से दिष्ट धारा प्राप्त करने के लिए उसमें कम्यूटेटर लगाया जाता है |
535 *विद्युत मोटर विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य नहीं करता है |
536 *माइक्रोफोन विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धांत पर आधारित होता है |
537 *दो आवेशों के बीच की दूरी दुगुनी करने में उनके बीच का बल चौथाई हो जाता है |
538 *प्रतिरोध का एस.आइ.मात्रक ओम (Ω) होता है |
539 *ताप बढ़ने पर चालक का प्रतिरोध बढ़ता है |
540 *ताप बढ़ने पर अर्द्धचालक का प्रतिरोध घटता है |
541 *चालक का प्रतिरोध चालक की लम्बाई के समानुपाती होता है |
542 *चालक का प्रतिरोध अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है |
543 *चाँदी सबसे अच्छा चालक होता है, इसमें मुक्त इलेक्ट्रॉन की अधिकता होती है |
544 *सेरामिक्स सबसे अच्छा अचालक है, अचालक मे मुक्त इलेक्ट्रॉन नहीं होते हैं
545 *घरों मे आने वाली प्रत्यावर्ती धारा का विभव प्रत्येक चक्र में +311 वोल्ट से -311 वोल्ट तक बदल जाता है |
546 *सूखे मानव शरीर का प्रतिरोध लगभग 50,000Ω एवं भींगे शरीर का प्रतिरोध लगभग 10,000Ω होता है |
547 *मानव शरीर को झटका पैदा करने के लिए A विद्युत धारा काफी है | अर्थात् 50V विभवांतर से कम विभवांतर की धारा झटका उत्पन्न नहीं करेगी
548 *विद्युत विभवान्तर का मात्रक जूल/कूलाम होता है, इसे वोल्ट भी कहते हैं |
549 *जूल ऊर्जा का बहुत छोटा मात्रक है, विद्युत ऊर्जा की माप के लिए एक बडे मात्रक ‘किलोवाट-घण्टा’ का उपयोग किया जाता है | इसे ‘यूनिट’ भी कहते हैं
550 *1 किलो वाट घंटा = 3.6 106 जूल |
551 *1 कूलम्ब आवेश = 6.25 1018 इलेक्ट्रान
552 *संघारित्र वह युक्ति है, जिसमें विद्युत् ऊर्जा एकत्र की जाती है |
553 *बल्ब के भीतर टंगस्टन धातु का बना सूक्ष्म तंतु होता है | टंगस्टन का गलनांक 3500 होता है |
554 *साधारण बल्ब दी गई ऊर्जा का केवल 5 से 10% भाग ही प्रकाश ऊर्जा मे परिवर्तित करता है |
555 *साधारण कोटि के तथा कम सामार्थ्य के बल्बों के भीतर निर्वात होता है | उच्च सामर्थ्य के बल्बों में नाइट्रोजन तथा आर्गन गैसों का मिश्रण भरा होता है
556 *बल्ब से वायु निकाल दी जाती है क्योंकि तंतु के गर्म होने पर वह वायु की आक्सीजन से संयोग करके जल जायेगा |
557 *नाइट्रोजन तथा आर्गन निष्क्रिय गैस होने के कारण इनकी उपस्थिति में तंतु नहीं जलता है |
558 *ट्यूब लाइट की दीवारों पर जिंक फास्फाइड का लेप चढ़ा होता है | ट्यूब के अंदर अक्रिय गैस जैसे आर्गन को कुछ पारे के साथ भरा जाता है |
559 *हीटर में विद्युतरोधी पदार्थ जैसे प्लास्टर ऑफ पेरिस की एक खॉचेदार प्लेट होती है, जिसमें मिश्र धातु नाइक्रोम की कुण्डली का प्रयोग होता है |
560 *विजली की इस्तरी में नाइक्रोम का तार अभ्रक की चादर पर लिपटा रहता है |
561 *नाइक्रोम का विशिष्ट प्रतिरोध बहुत अधिक होता है तथा वायु की आक्सीजन के साथ शीघ्र आक्साइड नहीं बनाता है |
562 *नाइक्रोम, निकेल और क्रोमियम का मिश्र धातु है |
563 *मुक्त विलयन में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तो धनायन कैथोड की ओर एवं ऋणायन एनोड की ओर चलने लगते हैं |
564 *फ्यूज के रूप में मुख्य लाइन के साथ श्रेणी क्रम में कम गलनांक तथा अधिक प्रतिरोध का एक पतला तार लगाते हैं |
565 *फ्यूज तार प्राय: टिन (रांगा) और तांबे का बना होता है |
566 *घरेलू परिपथ में सामान्यत: 5A एवं 10A का फ्यूज उपयोग में लाया जाता है
567 *दिष्ट धारा (डी.सी.) जनित्र से किसी परिपथ में प्रवाहित धारा का मान बदलता रहता है परंतु दिशा नहीं बदलती है |
568 *प्रत्यावर्ती धारा (ए.सी.) का मान एवं दिशा दोनों परिवर्तनीय होते हैं |
569 *ट्रांसफार्मर का क्रोड नर्म लोहे का बना होता है |
570 *किरचॉफ का नियम A.C. और D.C. दोनों मे लागू हो सकता है |
571 *100 वाट का विजली बल्ब 10 घण्टे में, 1 इकाई विजली खर्च करेगा |
572 *एक कार बैट्री में प्रयुक्त विद्युत अपघट्य सल्फ्यूरिक अम्ल होता है |
573 *फ्यूज विद्युत के उष्मीय सिद्धांत पर आधारित होता है |
574 *एक ट्रांसफॉर्मर वोल्टता (विभवांतर) बदलने का कार्य करता है |
575 *किसी तार का विशिष्ट प्रतिरोध तार के पदार्थ पर निर्भर करता है |
576 *चार्ज की मात्रा की इकाई एम्पियर घण्टा होती है |
577 *धारा वाहक कुण्डली में ऊर्जा चुम्बकीय क्षेत्र के रूप में संग्रहीत होती है |
578 *एक-दूसरे के समांतर एक ही दिशा में गतिमान दो इलेक्ट्रॉन धाराएँ एक-दूसरे को आकर्षित करती हैं |
579 *शुष्क सेल में कार्बन की छड़ एनोड का कार्य करती है |
580 *परिशोधक का प्रयोग उष्मा-ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलने के लिए किया जाता है |
581 *आर्क वेल्डिंग के लिए 200 से 250v D.C. वोल्टता की आवश्यकता होती है
582 *एक हीटर का नियतांक 2.2 किलोवाट और 220 वोल्ट है, तो इसका प्रतिरोध 22Ω होगा |
583 *जब किसी छड़ को चमड़े से रगड़ा जाता है, तो छड़ पर धन आवेश आता है |
584 *लेंज का नियम ऊर्जा संरक्षण का परिणाम है |
585 *घरों में आने वाली विद्युत की आवृत्ति 50Hz होती है |
586 *ट्रांसफॉर्मर में अधिकतम दक्षता के लिए, आर्मेचर ताम्र हानियाँ = स्थिर हानि होनी चाहिए |
587 *D.C.जनरेटर मे प्रवर्तक, आर्मेचर में सामांतर क्रम में लगाये जाते हैं |
588 *दिष्ट धारा जनित्र फैराडे के सिद्धांत पर कार्य करता है |
589 *132 Kv की संचरण लाइनों के लिए जालीनुमा खंभे प्रयुक्त किये जाते हैं |
590 *सौर सेल फोटो वोल्टाइक सेल के सिद्धांत पर कार्य करता है |
591 *इंडक्शन वाटमीटर ए.सी. में प्रयोग किया जाता है |
592 *परम शून्य तापमान पर अर्द्धचालकों में विद्युत प्रतिरोध अनंत हो जाता है |
593 *रमन प्रभाव का प्रकाश की उन किरणों से सम्बंध है, जो केवल प्रिज्मों के आर-पार जाती हैं |
594 *सामान्य ट्यूबलाइट में आर्गन के साथ मरकरी वेपर गैस भरी होती है |
595 *फ्लोरेसेंट ट्यूब (प्रतिदीप्ति बल्ब) में मरक्यूरिक ऑक्साइड और निऑन गैस भरी होती है |
596 *प्रतिदीप्ति नलिकाओं के साथ चोक आसंजित होता है, क्योंकि चोक कुण्डली लाइन वोल्टता बढ़ाती है |
597 *फ्लेमिंग का बाम-हस्त नियम जनित्र पर लागू होता है |
598 *डायनेमों का आर्मेचर लौह-चुम्बकीय पदार्थ से बना होता है |
599 *शार्ट सर्किट की स्थिति में ट्रांसफॉर्मर की दक्षता शून्य होगी |
600 *विद्युत परिपथों को ताप-वैद्युत युग्म द्वारा अतितापन से बचाया जा सकता है |
502 *प्रकाश किरणों की प्रकृति तरंग एवं कण दोनों के समान होती है |
503 *प्रकाश सीधी रेखा में चलता प्रतीत होता है, क्योंकि इसकी तरंग दैर्ध्य बहुत छोटी होती है |
504 *जब प्रिज्म से प्रकाश किरण गुजरती है तथा रंगों का जो समूह उत्पन्न होता है उसे वर्णक्रम कहते हैं |
505 *हीरे रात में चमकते हैं, क्योंकि उच्च अपवर्तनांक के कारण प्रकाशिकी किरणें आंतरिक रूप से परावर्तित होती हैं |
506 *ज्योति फ्लक्स का मात्रक ल्यूमेन होता है |
507 *इद्रधनुष में लाल रंग का विक्षेपण अधिक होता है |
508 *दो समांतर दर्पणों के बीच धातु के एक गोले को रखा जाता है, इसमें बने प्रतिबिम्बों की संख्या असंख्य होगी |
509 *तारों के टिमटिमाने का कारण वातावरणीय अपवर्तन होता है |
510 *टी.वी.रिमोट में एक छोटा ट्रांसमीटर होता है जिससे अवरक्त सिग्नल निकलता है |
511 *आँख में प्रवेश करने वाले प्रकाश की मात्रा का नियंत्रण परितारिका के द्वारा होता है |
512 *मानव आँख हरा प्रकाश के प्रति सर्वाधिक संवेदनशील होती है |
513 *जल के अंदर वायु का बुलबुला अपसारी (अवतल लेंस) लेंस की भाँति कार्य करता है |
514 *समतल दर्पण 120 कोण पर झुके हैं,तो उनके बीच रखी वस्तु के प्रतिबिम्बों की संख्या तीन होगी |
515 *दृष्टिपटल (रेटिना) पर जो चित्र बनता है वह वस्तु से छोटा व उल्टा होता है |
516 *जब किसी दर्पण को कोण से घूर्णित किया जाये,तो परावर्तित किरण का घूर्णन 2 होगा |
517 *प्रकाश तंतु पूर्ण आंतरिक परावर्तन के सिद्धांत पर कार्य करता है |
518 *एक चश्मे के लेंस की फोकस दूरी -50 सेमी.है, इसकी क्षमता -2D होगी |
519 *विद्युत चुम्बकीय तरंग एवं प्रकाश तरंग का वेग समान होता है |
520 *होलोग्राम किसी वस्तु का त्रिविमीय चित्र होता है |
521 *एक तरंग की आवृत्ति 120Hz है, यदि तरंग की चाल 480 मी./से. हो, तो उसकी तरंग दैर्ध्य 4 मी. होगी |
522 *एक संयुक्त सूक्ष्मदर्शी में अभिदृश्यक एवं नेत्रिका की आवर्धन क्षमताएं क्रमश: m1 एवं m2 हैं, सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता m1 m2 होगी |
523 *किसी भी खोखले चालक के अंदर विद्युत क्षेत्र शून्य होता है | यदि ऐसे चालक को आवेशित किया जाए तो सम्पूर्ण आवेश उसके बाहरी पृष्ठ पर ही रहता है | अत: खोखला गोला एक विद्युत परिक्षक का कार्य करता है | यहीं कारण है कि यदि किसी कार पर तड़ित विद्युत गिर जाये तो कार के अंदर बैठे व्यक्ति पूर्ण सुरक्षित: होते हैं | तड़ित से प्राप्त आवेश कार की बाहरी सतह पर ही रहता है |
524 *विद्युत विभव एवं विभवांतर दोनों ही अदिश राशियां हैं, दोनो का एस.आई.मात्रक वोल्ट होता है |
525 *विद्युत धारा : किसी चालक में विद्युत आवेश के प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहते हैं | विद्युत धारा की दिशा धन आवेश की गति की दिशा की ओर मानी जाती है | इसका एस.आई. मात्रक एम्पियर है | यह एक अदिश राशि है |
526 *विद्युत धारा के प्रवाह की दिशा प्रोटॉन के प्रवाह की दिशा एवं इलेक्ट्रॉन के प्रवाह के विपरीत दिशा की ओर होती है |
527 *अमीटर विद्युत धारा मापता है |
528 *विद्युत धारिता का एस.आइ.मात्रक फैराड होता है |
529 *एक आदर्श अमीटर का प्रतिरोध शून्य होना चाहिए | इसे श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है |
530 *एक आदर्श वोल्ट मीटर का प्रतिरोध अनंत होना चाहिए | इसे समानांतर क्रम में जोड़ा जाता है |
531 *गैल्वेनोमीटर विद्युत परिपथ में विद्युत धारा की उपस्थिति बताने वाला यंत्र है
532 *ट्रांसफार्मर विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करने वाला यंत्र है | यह केवल प्रत्यावर्ती धारा (ए.सी.) के लिए प्रयुक्त किया जाता है |
533 *ए.सी.डायनेमों या जनरेटर विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है |
534 *प्रत्यावर्ती जनित्र से दिष्ट धारा प्राप्त करने के लिए उसमें कम्यूटेटर लगाया जाता है |
535 *विद्युत मोटर विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य नहीं करता है |
536 *माइक्रोफोन विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धांत पर आधारित होता है |
537 *दो आवेशों के बीच की दूरी दुगुनी करने में उनके बीच का बल चौथाई हो जाता है |
538 *प्रतिरोध का एस.आइ.मात्रक ओम (Ω) होता है |
539 *ताप बढ़ने पर चालक का प्रतिरोध बढ़ता है |
540 *ताप बढ़ने पर अर्द्धचालक का प्रतिरोध घटता है |
541 *चालक का प्रतिरोध चालक की लम्बाई के समानुपाती होता है |
542 *चालक का प्रतिरोध अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है |
543 *चाँदी सबसे अच्छा चालक होता है, इसमें मुक्त इलेक्ट्रॉन की अधिकता होती है |
544 *सेरामिक्स सबसे अच्छा अचालक है, अचालक मे मुक्त इलेक्ट्रॉन नहीं होते हैं
545 *घरों मे आने वाली प्रत्यावर्ती धारा का विभव प्रत्येक चक्र में +311 वोल्ट से -311 वोल्ट तक बदल जाता है |
546 *सूखे मानव शरीर का प्रतिरोध लगभग 50,000Ω एवं भींगे शरीर का प्रतिरोध लगभग 10,000Ω होता है |
547 *मानव शरीर को झटका पैदा करने के लिए A विद्युत धारा काफी है | अर्थात् 50V विभवांतर से कम विभवांतर की धारा झटका उत्पन्न नहीं करेगी
548 *विद्युत विभवान्तर का मात्रक जूल/कूलाम होता है, इसे वोल्ट भी कहते हैं |
549 *जूल ऊर्जा का बहुत छोटा मात्रक है, विद्युत ऊर्जा की माप के लिए एक बडे मात्रक ‘किलोवाट-घण्टा’ का उपयोग किया जाता है | इसे ‘यूनिट’ भी कहते हैं
550 *1 किलो वाट घंटा = 3.6 106 जूल |
551 *1 कूलम्ब आवेश = 6.25 1018 इलेक्ट्रान
552 *संघारित्र वह युक्ति है, जिसमें विद्युत् ऊर्जा एकत्र की जाती है |
553 *बल्ब के भीतर टंगस्टन धातु का बना सूक्ष्म तंतु होता है | टंगस्टन का गलनांक 3500 होता है |
554 *साधारण बल्ब दी गई ऊर्जा का केवल 5 से 10% भाग ही प्रकाश ऊर्जा मे परिवर्तित करता है |
555 *साधारण कोटि के तथा कम सामार्थ्य के बल्बों के भीतर निर्वात होता है | उच्च सामर्थ्य के बल्बों में नाइट्रोजन तथा आर्गन गैसों का मिश्रण भरा होता है
556 *बल्ब से वायु निकाल दी जाती है क्योंकि तंतु के गर्म होने पर वह वायु की आक्सीजन से संयोग करके जल जायेगा |
557 *नाइट्रोजन तथा आर्गन निष्क्रिय गैस होने के कारण इनकी उपस्थिति में तंतु नहीं जलता है |
558 *ट्यूब लाइट की दीवारों पर जिंक फास्फाइड का लेप चढ़ा होता है | ट्यूब के अंदर अक्रिय गैस जैसे आर्गन को कुछ पारे के साथ भरा जाता है |
559 *हीटर में विद्युतरोधी पदार्थ जैसे प्लास्टर ऑफ पेरिस की एक खॉचेदार प्लेट होती है, जिसमें मिश्र धातु नाइक्रोम की कुण्डली का प्रयोग होता है |
560 *विजली की इस्तरी में नाइक्रोम का तार अभ्रक की चादर पर लिपटा रहता है |
561 *नाइक्रोम का विशिष्ट प्रतिरोध बहुत अधिक होता है तथा वायु की आक्सीजन के साथ शीघ्र आक्साइड नहीं बनाता है |
562 *नाइक्रोम, निकेल और क्रोमियम का मिश्र धातु है |
563 *मुक्त विलयन में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तो धनायन कैथोड की ओर एवं ऋणायन एनोड की ओर चलने लगते हैं |
564 *फ्यूज के रूप में मुख्य लाइन के साथ श्रेणी क्रम में कम गलनांक तथा अधिक प्रतिरोध का एक पतला तार लगाते हैं |
565 *फ्यूज तार प्राय: टिन (रांगा) और तांबे का बना होता है |
566 *घरेलू परिपथ में सामान्यत: 5A एवं 10A का फ्यूज उपयोग में लाया जाता है
567 *दिष्ट धारा (डी.सी.) जनित्र से किसी परिपथ में प्रवाहित धारा का मान बदलता रहता है परंतु दिशा नहीं बदलती है |
568 *प्रत्यावर्ती धारा (ए.सी.) का मान एवं दिशा दोनों परिवर्तनीय होते हैं |
569 *ट्रांसफार्मर का क्रोड नर्म लोहे का बना होता है |
570 *किरचॉफ का नियम A.C. और D.C. दोनों मे लागू हो सकता है |
571 *100 वाट का विजली बल्ब 10 घण्टे में, 1 इकाई विजली खर्च करेगा |
572 *एक कार बैट्री में प्रयुक्त विद्युत अपघट्य सल्फ्यूरिक अम्ल होता है |
573 *फ्यूज विद्युत के उष्मीय सिद्धांत पर आधारित होता है |
574 *एक ट्रांसफॉर्मर वोल्टता (विभवांतर) बदलने का कार्य करता है |
575 *किसी तार का विशिष्ट प्रतिरोध तार के पदार्थ पर निर्भर करता है |
576 *चार्ज की मात्रा की इकाई एम्पियर घण्टा होती है |
577 *धारा वाहक कुण्डली में ऊर्जा चुम्बकीय क्षेत्र के रूप में संग्रहीत होती है |
578 *एक-दूसरे के समांतर एक ही दिशा में गतिमान दो इलेक्ट्रॉन धाराएँ एक-दूसरे को आकर्षित करती हैं |
579 *शुष्क सेल में कार्बन की छड़ एनोड का कार्य करती है |
580 *परिशोधक का प्रयोग उष्मा-ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलने के लिए किया जाता है |
581 *आर्क वेल्डिंग के लिए 200 से 250v D.C. वोल्टता की आवश्यकता होती है
582 *एक हीटर का नियतांक 2.2 किलोवाट और 220 वोल्ट है, तो इसका प्रतिरोध 22Ω होगा |
583 *जब किसी छड़ को चमड़े से रगड़ा जाता है, तो छड़ पर धन आवेश आता है |
584 *लेंज का नियम ऊर्जा संरक्षण का परिणाम है |
585 *घरों में आने वाली विद्युत की आवृत्ति 50Hz होती है |
586 *ट्रांसफॉर्मर में अधिकतम दक्षता के लिए, आर्मेचर ताम्र हानियाँ = स्थिर हानि होनी चाहिए |
587 *D.C.जनरेटर मे प्रवर्तक, आर्मेचर में सामांतर क्रम में लगाये जाते हैं |
588 *दिष्ट धारा जनित्र फैराडे के सिद्धांत पर कार्य करता है |
589 *132 Kv की संचरण लाइनों के लिए जालीनुमा खंभे प्रयुक्त किये जाते हैं |
590 *सौर सेल फोटो वोल्टाइक सेल के सिद्धांत पर कार्य करता है |
591 *इंडक्शन वाटमीटर ए.सी. में प्रयोग किया जाता है |
592 *परम शून्य तापमान पर अर्द्धचालकों में विद्युत प्रतिरोध अनंत हो जाता है |
593 *रमन प्रभाव का प्रकाश की उन किरणों से सम्बंध है, जो केवल प्रिज्मों के आर-पार जाती हैं |
594 *सामान्य ट्यूबलाइट में आर्गन के साथ मरकरी वेपर गैस भरी होती है |
595 *फ्लोरेसेंट ट्यूब (प्रतिदीप्ति बल्ब) में मरक्यूरिक ऑक्साइड और निऑन गैस भरी होती है |
596 *प्रतिदीप्ति नलिकाओं के साथ चोक आसंजित होता है, क्योंकि चोक कुण्डली लाइन वोल्टता बढ़ाती है |
597 *फ्लेमिंग का बाम-हस्त नियम जनित्र पर लागू होता है |
598 *डायनेमों का आर्मेचर लौह-चुम्बकीय पदार्थ से बना होता है |
599 *शार्ट सर्किट की स्थिति में ट्रांसफॉर्मर की दक्षता शून्य होगी |
600 *विद्युत परिपथों को ताप-वैद्युत युग्म द्वारा अतितापन से बचाया जा सकता है |
भौतिक विज्ञान 1500 प्रश्न उत्तर Part 6
Reviewed by vishal
on
October 18, 2018
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