भौतिक विज्ञान 1500 प्रश्न उत्तर Part 3
201 *द्रव का ताप बढ़ाने पर पृष्ठ तनाव कम हो जाता है और क्रांतिक ताप पर यह शून्य हो जाता है |
202 *पृष्ठ तनाव के उदाहरण – 1. शेविंग ब्रश को जल से निकाले जाने पर इसके केश आपस में सटे रहते हैं | 2. समुद्र की लहरों को शांत करने के लिए तेल गिराया जाता है, पृष्ठ-तनाव में कमी आने से लहरों की ऊंचाई कम हो जाती है 3. वर्षा की बूंदे एवं पारे के कण गोलाकार होते हैं |
203 *पृष्ठ-तनाव के कारण कपूर के छोटे-छोटे टुकड़े जल की सतह पर नाचते हैं |
204 *साबुन, डिटर्जेंट आदि जल के पृष्ठ-तनाव को कम कर देते हैं, अत: वे मैल मे गहराई तक चले जाते हैं |
205 *द्रव का घनत्व अधिक होने पर पृष्ठ-तनाव बढ़ जाता है |
206 *गरम सूप स्वादिष्ट लगता है, क्योंकि गरम द्रव का पृष्ठ-तनाव कम होता है, अत: वह जीभ के ऊपर सभी भागों में अच्छी तरह से फैल जाता है |
207 *पानी मे मिट्टी का तेल मिला देने से उसका पृष्ठ-तनाव कम हो जाता है जिससे मच्छरों के लार्वा पानी में डूब जाते हैं |
208 *केशनली में द्रव के ऊपर चढ़ने या नीचे उतरने की घटना को केशिकत्व कहते हैं | नली की त्रिज्या जितनी कम होती है, द्रव उतना ही ऊपर चढ़ता है | केशिकत्व के उदाहरण – पेपर द्वारा स्याही का सोखना, बत्ती में तेल का ऊपर चढ़ना, ढेले द्वारा पानी का सोखना, खेत की जुताई कर देने पर पानी का ऊपर न आना |
209 *कोशिका नली में जल का ऊपरी सतह अवतल तथा पारे की ऊपरी सतह उत्तल होती है |
210 *जो द्रव जितने अधिक गाढ़े होते हैं, वे उतने ही अधिक श्यान होते हैं |
211 *ताप बढ़ाने पर द्रव की श्यानता घट जाती है, लेकिन गैसों की बढ़ जाती है |
212 *नियत वेग को वस्तु का सीमांत वेग कहते हैं | सीमांत वेग के ही आधार पर पैराशूट की सहायता से व्यक्ति नीचे गिरता है |
213 *कम पृष्ठ-तनाव तथा उच्च श्यानता एक अच्छे स्नेहक के गुण होते हैं |
214 *सामान्य जल का पृष्ठ-तनाव 73 डायन/सेमी. होता है |
215 *तरल के प्रवाह का दर बेचुरीमीटर से मापा जाता है |
216 *श्यानता गुणांक का मात्रक प्वायज होता है |
217 *आँधी आने पर छप्पर का उड़ना तथा प्लेटफार्म पर खड़े आदमी का गाड़ी की ओर खींचा जाना बरनौली के प्रमेय पर आधारित है |
218 *द्रवों का वह गुण, जिसके कारण यह अपनी विभिन्न परतों में होने वाली गति का विरोध करता है, श्यानता कहलाता है |
219 *ठंडे देशों में झीलों के जम जाने के पश्चात् भी जलीय जंतु जिंदा रहते हैं, क्योंकि बर्फ के नीचे जल 4 पर होता है |
220 *पदार्थ का वह गुण जिसके कारण वस्तु पर लगने वाले बाह्य बल को हटा लेने पर वस्तु पुन: अपना मूल आकार और रूप प्राप्त कर लेता है, प्रत्यास्थता कहलाता है |
221 *रबर की अपेक्षा इस्पात अधिक प्रत्यास्थ है |
222 *जब कोई वस्तु स्थायी रूप से विकृत हो जाती है, तो इसे प्लास्टिक विरूपण कहा जाता है |
223 *कार्य की माप, लगाये गये बल तथा बल की दिशा में वस्तु के विस्थापन के ग़ुणनफल के बराबर होता है (कार्य = बल x विस्थापन)|
224 *कार्य का एस.आई. मात्रक न्यूटन-मीटर होता है, जूल कहते हैं |
225 *किसी वस्तु की कार्य करने की क्षमता को उस वस्तु की ऊर्जा कहते हैं | इसका एस.आई. मात्रक जूल होता है |
226 *यदि बल और विस्थापन एक ही दिशा में नहीं है, बल्कि दोनों की दिशाओं के मध्य कोण बनता है, तो W = Fs cos
227 *संवेग के दोगुना करने पर स्थितिज ऊर्जा 4 गुना हो जायेगी |
228 *किसी वस्तु की स्थिति या आकार के कारण जो कार्य करने की क्षमता आ जाती है, उसे स्थितिज ऊर्जा कहते हैं | स्थितिज ऊर्जा = द्रव्यमान x गुरूत्वीय त्वरण x ऊँचाई अर्थात्
229 *छत पर दौड़ता हुआ बालक, छत से टँगा हुआ पंखा तथा वर्षा का गिरता हुआ पानी इत्यादि यांत्रिक ऊर्जा के उदाहरण हैं | 1 KW = 1000W, 1 MW = 106W, 1 HP = 746W, 1 वाट-सेकेण्ड = 1 जूल, 1 जूल = 107 अर्ग 1 वाट-घण्टा = 3600 जूल, 1000 वाट = 1 यूनीट 1000 वाट घण्टा = 3.6x106 जूल |
230 *आइंसटीन ने यह सिद्धांत दिया कि द्रव्यमान भी ऊर्जा का ही एक रूप है | आइंसटीन का द्रव्यमान ऊर्जा समीकरण E = mc2 है | जहाँ m=द्रव्यमान, c=प्रकाश का वेग
231 *ऊर्जा संरक्षण के सिद्धांत के अनुसार, ऊर्जा का एक रूप से दूसरे रूप में केवल परिवर्तन ही किया जा सकता है, ऊर्जा न तो उत्पन्न की जा सकती है न तो नष्ट की जा सकती है |अत: विश्व की समस्त ऊर्जा का परिमाण स्थिर रहता है |
232 *घड़ी की चाभी देने पर उसमें स्थितिज ऊर्जा सग्रहित होती है |
233 *एक वस्तु पृथ्वी की ओर गिर रही है तो उसकी स्थितिज ऊर्जा घटेगी |
234 *यदि कोई पिण्ड पृथ्वी से ठीक ऊपर की ओर फेका जाए, तो ऊपर की ओर जाते हुए उसकी सम्पूर्ण ऊर्जा नियत रहती है |
235 *जब कोई वस्तु ऊपर से गिराई जाती है, तो उसका भार परिवर्तनशील होता है |
236 *किसी वस्तु में उसके गति के कारण जो कार्य करने की क्षमता आ जाती है, उसे गतिज ऊर्जा कहते हैं |
237 *द्रव्यमान दुगुना होने पर गतिज ऊर्जा भी दोगुना हो जाती है |
238 *किसी वस्तु की चाल आधी कर दी जाये, तो उसकी गतिज ऊर्जा एक चौथाई हो जायेगी |
239 *यदि किसी वस्तु की चाल दुगुनी कर दी जाये, तो उसका संवेग दुगुना तथा उसकी गतिज ऊर्जा 4 गुनी हो जायेगी |
240 *यदि पृथ्वी का द्रव्यमान बिना परिवर्तित हुए, उसका व्यास आधा हो जाये तो पृथ्वी पर किसी वस्तु का भार 4 गुना हो जायेगा |
241 *अलग-अलग द्रव्यमान के दो पिंडों को स्वतंत्रता पूर्वक समान ऊचाई से छोड़ा जाये तो इन पिंडो के पृथ्वी की ओर आकर्षण बल भिन्न-भिन्न होंगें |
242 *दो गेंदे जिनका भार अलग-अलग है, एक मीनार से गिराई जाती हैं, दोनों एक साथ नीचे पहुंचेगी |
243 *हवा मे लोहे और लकड़ी के समान भार की दो गेंद को समान ऊंचाई से गिराने पर पृथ्वी पर दोनों एक समय गिरेंगी |
244 *पृथ्वी के केंद्र से होकर, भूमंडल के विपरीत बिंदु तक एक छेद का वेधन किया जाये, तो इस छेद से गिराया गया एक सिक्का आयाम ह्यास के साथ एक किनारे से दूसरे किनारे तक दोलन करेगा |
245 *एक वस्तु का वजन अधिकतम पृथ्वी के ध्रुओं पर होता है |
246 *किसी वस्तु का जड़त्व वस्तु के द्रव्यमान पर निर्भर करता है |
247 *किसी पिंड के द्रव्यमान व भार में अंतर होता है, क्योंकि द्रव्यमान स्थिर रहता है, जबकि भार परिवर्तनीय होता है |
248 *यदि गति करने के लिए स्वतंत्र 1 किग्रा. द्रव्यमान की किसी वस्तु पर 1 न्यूटन का बल लगाया जाये तो वह 1 मी.से.2 के त्वरण से गति करेगी |
249 *राकेट की गति संवेग-सरक्षण के सिद्धांत पर आधारित होती है |
250 *डायनेमों यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है |
251 *मोमबत्ती रासायनिक ऊर्जा को प्रकाश एवं ऊष्मा ऊर्जा में बदलती है |
252 *माइक्रो फोन ध्वनि ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है |
253 *लाउडस्पीकर विद्युत ऊर्जा को ध्वनि ऊर्जा में बदलता है |
254 *सोलर सेल सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है |
255 *ट्यूबलाइट विद्युत ऊर्जा को प्रकाश ऊर्जा में बदलती है |
256 *विद्युत बल्ब विद्युत ऊर्जा को प्रकाश ऊर्जा एवं उष्मा ऊर्जा मे बदलता है |
257 *विद्युत मोटर विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलता है |
258 *विद्युत सेल रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है |
259 *सितार यांत्रिक ऊर्जा को ध्वनि ऊर्जा में बदलता है |
260 *प्रकाश-विद्युत सेल प्रकाश को विद्युत ऊर्जा मे बदलता है |
261 *भाप, पेट्रोल एवं डीजल इंजन उष्मा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलता है |
262 *नाभिकीय रिएक्टर नाभिकीय ऊर्जा को उष्मा, प्रकाश एवं यांत्रिक ऊर्जा में बदलता है |
263 *यदि पृथ्वी अपनी वर्तमान कोणीय चाल से 17 गुना अधिक चाल से घूमने लगे तो भूमध्य रेखा पर वस्तु का भार शून्य हो जायेगा |
264 *जब लिफ्ट ऊपर की ओर जाती है, तो लिफ्ट में स्थित पिंड का भार बढा हुआ प्रतीत होता है |
265 *जब लिफ्ट नीचे की ओर आती है, तो लिफ्ट में स्थित पिंड का भार घटा हुआ प्रतीत होता है |
266 *जब लिफ्ट एक समान वेग से ऊपर या नीचे जाती है, तो लिफ्ट मे स्थित पिंड के भार में कोई परिवर्तन नहीं प्रतीत होता है |
267 *यदि नीचे उतरते समय लिफ्ट की डोरी टूट जाए, तो वह मुक्त पिंड की भाँति नीचे गिरती है, अर्थात् पिंड का भार शून्य होता है, यहीं भारहीनता की स्थिति है |
268 *यदि लिफ्ट के नीचे गिरते समय लिफ्ट का त्वरण गुरूत्वीय त्वरण से अधिक हो, तो लिफ्ट में स्थित पिंड फर्श से उठकर उसकी छत से टकरा जायेगा |
269 *प्रत्येक ग्रह का क्षेत्रीय वेग नियत रहता है , इसका प्रभाव यह होता है कि जब ग्रह सूर्य के निकट होता है तो उसका वेग बढ़ जाता है और जब वह दूर होता है तो उसका वेग कम हो जाता है |
270 *सूर्य से अधिक दूरी के ग्रहों का परिक्रमण-काल अधिक होता है |
271 *पृथ्वी के उपग्रह का कक्षीय वेग कक्षा की त्रिज्या पर निर्भर करता है |
272 *उपग्रह का परिक्रमण काल उसके द्रव्यमान पर न निर्भर होकर पृथ्वी तल से ऊंचाई पर निर्भर करता है |
273 *पृथ्वी के अति निकट चक्कर लगाने वाले उपग्रह का परिक्रमण काल 84 मिनट होता है |
274 *उपग्रह की कक्षीय चाल उसकी पृथ्वी तल से ऊंचाई पर निर्भर करती है | उपग्रह पृथ्वी तल से जितना अधिक दूर होगा, उसकी चाल उतनी ही कम होगी |
275 *उपग्रह की कक्षीय चाल उसके द्रव्यामान पर निर्भर नहीं करती है, एक ही त्रिज्या के कक्षा में भिन्न-भिन्न द्रव्यमानों के उपग्रहों की चाल समान होगी |
276 *पृथ्वी-तल के अति निकट चक्कर लगाने वाले उपग्रह की कक्षीय चाल लगभग 8km/s होती है |
277 *पृथ्वी के परित: घूमने वाले कृत्रिम उपग्रह से बाहर गिराई गई गेंद पृथ्वी के परित: उपग्रह के समान आवर्त काल के साथ उसी की कक्षा में घूमती रहेगी |
278 *सामान्य जल की अपेक्षा समुद्री जल का घनत्व अधिक होता है, इसी कारण उसमें तैरना आसान होता है |
279 *जब बर्फ पानी में तैरता है तो उसका 1/10 भाग पानी के ऊपर रहता है |
280 *किसी बर्तन में पानी भरा है और उस पर बर्फ तैर रही है, जब बर्फ पूरी तरह से पिघल जायेगी तो पात्र में जल का स्तर समान ही रहेगा |
281 *बादल वायु में कम घनत्व के कारण तैरता रहता है |
282 *बर्फ के दो टुकड़ों को आपस में दबाने पर टुकड़े आपस में चिपक जाते हैं, क्योंकि दाब अधिक होने से बर्फ का गलनांक घट जाता है |
283 *सबसे शुद्ध जल वर्षा का जल होता है |
284 *पवन ऊर्जा द्वारा सबसे सस्ती विजली प्राप्त की जाती है |
285 *खाद्य ऊर्जा कैलोरी में मापी जाती है |
286 *भारत के लिए अन्यत्र उपयुक्त अपारंपरिक ऊर्जा-स्रोत सौर-ऊर्जा है |
287 *10 किग्रा. का एक पिंड जमीन से 10 मीटर की ऊंचाई पर है, उसकी स्थितिज ऊर्जा 9800 जूल होगी (g = 9.8 m/s) |
288 *गतिज ऊर्जा के वेग मे 25% वृद्धि करने पर गतिज ऊर्जा में 56.25% की वृद्धि होगी |
289 *टेलीफोन लाइन मे इलेक्ट्रिकल-ऊर्जा गमन करती है |
290 *1 ग्राम और 4 ग्राम द्रव्यमान की दो वस्तुएँ एक ही गतिज-ऊर्जा से गति कर रही हैं, उनके रेखीय संवेग के परिमाण का अनुपात 1 : 2 होगा |
291 *एक हल्की और एक भारी वस्तु को ऊंचाई पर से एक साथ गिराया जाता है, अगर वायु प्रतिरोध को नगण्य माना जाये तो दोनों एक ही साथ जमीन पर गिरेगीं |
292 *एक वस्तु उदासीन साम्यावस्था में है, उसे हिलाने पर उसकी स्थितिज-ऊर्जा शून्य हो जायेगी |
293 *एक 20J की गतिज-ऊर्जा और 100g के द्रव्यमान वाले पिंड का वेग 20 m/s होगा |
294 *एक व्यक्ति को 5 मीटर की दूरी पर भार लेकर जाना है, अधिकतम कार्य तब होगा, जब वह एक क्षैतिज सतह पर भार को ठेलता है |
295 *एक बस, एक कार एवं एक मोटर साइकिल एक ही गतिज ऊर्जा में गति करते हैं, ब्रेक द्वारा समान मंदन प्रयोग करने पर मोटर साइकिल कम दूरी पर रूकेगा|
296 *स्वतंत्रता पूर्वक गिरती हुई वस्तु की कुल ऊर्जा नियत रहती है |
297 *भौतिक अथवा रासायनिक तुला (दो पल्ला) लीवर के सिद्धांत पर काम करता है |
298 *टैकोमीटर द्वारा घूमने की गति मापी जाती है |
299 *आवृत्ति को शेरिंग ब्रीज के प्रयोग द्वारा मापा जा सकता है |
300 *लैथ मशीन पर कूलर का प्रयोग वर्क पीस को ठंडा रखने के लिए किया जाता है |
202 *पृष्ठ तनाव के उदाहरण – 1. शेविंग ब्रश को जल से निकाले जाने पर इसके केश आपस में सटे रहते हैं | 2. समुद्र की लहरों को शांत करने के लिए तेल गिराया जाता है, पृष्ठ-तनाव में कमी आने से लहरों की ऊंचाई कम हो जाती है 3. वर्षा की बूंदे एवं पारे के कण गोलाकार होते हैं |
203 *पृष्ठ-तनाव के कारण कपूर के छोटे-छोटे टुकड़े जल की सतह पर नाचते हैं |
204 *साबुन, डिटर्जेंट आदि जल के पृष्ठ-तनाव को कम कर देते हैं, अत: वे मैल मे गहराई तक चले जाते हैं |
205 *द्रव का घनत्व अधिक होने पर पृष्ठ-तनाव बढ़ जाता है |
206 *गरम सूप स्वादिष्ट लगता है, क्योंकि गरम द्रव का पृष्ठ-तनाव कम होता है, अत: वह जीभ के ऊपर सभी भागों में अच्छी तरह से फैल जाता है |
207 *पानी मे मिट्टी का तेल मिला देने से उसका पृष्ठ-तनाव कम हो जाता है जिससे मच्छरों के लार्वा पानी में डूब जाते हैं |
208 *केशनली में द्रव के ऊपर चढ़ने या नीचे उतरने की घटना को केशिकत्व कहते हैं | नली की त्रिज्या जितनी कम होती है, द्रव उतना ही ऊपर चढ़ता है | केशिकत्व के उदाहरण – पेपर द्वारा स्याही का सोखना, बत्ती में तेल का ऊपर चढ़ना, ढेले द्वारा पानी का सोखना, खेत की जुताई कर देने पर पानी का ऊपर न आना |
209 *कोशिका नली में जल का ऊपरी सतह अवतल तथा पारे की ऊपरी सतह उत्तल होती है |
210 *जो द्रव जितने अधिक गाढ़े होते हैं, वे उतने ही अधिक श्यान होते हैं |
211 *ताप बढ़ाने पर द्रव की श्यानता घट जाती है, लेकिन गैसों की बढ़ जाती है |
212 *नियत वेग को वस्तु का सीमांत वेग कहते हैं | सीमांत वेग के ही आधार पर पैराशूट की सहायता से व्यक्ति नीचे गिरता है |
213 *कम पृष्ठ-तनाव तथा उच्च श्यानता एक अच्छे स्नेहक के गुण होते हैं |
214 *सामान्य जल का पृष्ठ-तनाव 73 डायन/सेमी. होता है |
215 *तरल के प्रवाह का दर बेचुरीमीटर से मापा जाता है |
216 *श्यानता गुणांक का मात्रक प्वायज होता है |
217 *आँधी आने पर छप्पर का उड़ना तथा प्लेटफार्म पर खड़े आदमी का गाड़ी की ओर खींचा जाना बरनौली के प्रमेय पर आधारित है |
218 *द्रवों का वह गुण, जिसके कारण यह अपनी विभिन्न परतों में होने वाली गति का विरोध करता है, श्यानता कहलाता है |
219 *ठंडे देशों में झीलों के जम जाने के पश्चात् भी जलीय जंतु जिंदा रहते हैं, क्योंकि बर्फ के नीचे जल 4 पर होता है |
220 *पदार्थ का वह गुण जिसके कारण वस्तु पर लगने वाले बाह्य बल को हटा लेने पर वस्तु पुन: अपना मूल आकार और रूप प्राप्त कर लेता है, प्रत्यास्थता कहलाता है |
221 *रबर की अपेक्षा इस्पात अधिक प्रत्यास्थ है |
222 *जब कोई वस्तु स्थायी रूप से विकृत हो जाती है, तो इसे प्लास्टिक विरूपण कहा जाता है |
223 *कार्य की माप, लगाये गये बल तथा बल की दिशा में वस्तु के विस्थापन के ग़ुणनफल के बराबर होता है (कार्य = बल x विस्थापन)|
224 *कार्य का एस.आई. मात्रक न्यूटन-मीटर होता है, जूल कहते हैं |
225 *किसी वस्तु की कार्य करने की क्षमता को उस वस्तु की ऊर्जा कहते हैं | इसका एस.आई. मात्रक जूल होता है |
226 *यदि बल और विस्थापन एक ही दिशा में नहीं है, बल्कि दोनों की दिशाओं के मध्य कोण बनता है, तो W = Fs cos
227 *संवेग के दोगुना करने पर स्थितिज ऊर्जा 4 गुना हो जायेगी |
228 *किसी वस्तु की स्थिति या आकार के कारण जो कार्य करने की क्षमता आ जाती है, उसे स्थितिज ऊर्जा कहते हैं | स्थितिज ऊर्जा = द्रव्यमान x गुरूत्वीय त्वरण x ऊँचाई अर्थात्
229 *छत पर दौड़ता हुआ बालक, छत से टँगा हुआ पंखा तथा वर्षा का गिरता हुआ पानी इत्यादि यांत्रिक ऊर्जा के उदाहरण हैं | 1 KW = 1000W, 1 MW = 106W, 1 HP = 746W, 1 वाट-सेकेण्ड = 1 जूल, 1 जूल = 107 अर्ग 1 वाट-घण्टा = 3600 जूल, 1000 वाट = 1 यूनीट 1000 वाट घण्टा = 3.6x106 जूल |
230 *आइंसटीन ने यह सिद्धांत दिया कि द्रव्यमान भी ऊर्जा का ही एक रूप है | आइंसटीन का द्रव्यमान ऊर्जा समीकरण E = mc2 है | जहाँ m=द्रव्यमान, c=प्रकाश का वेग
231 *ऊर्जा संरक्षण के सिद्धांत के अनुसार, ऊर्जा का एक रूप से दूसरे रूप में केवल परिवर्तन ही किया जा सकता है, ऊर्जा न तो उत्पन्न की जा सकती है न तो नष्ट की जा सकती है |अत: विश्व की समस्त ऊर्जा का परिमाण स्थिर रहता है |
232 *घड़ी की चाभी देने पर उसमें स्थितिज ऊर्जा सग्रहित होती है |
233 *एक वस्तु पृथ्वी की ओर गिर रही है तो उसकी स्थितिज ऊर्जा घटेगी |
234 *यदि कोई पिण्ड पृथ्वी से ठीक ऊपर की ओर फेका जाए, तो ऊपर की ओर जाते हुए उसकी सम्पूर्ण ऊर्जा नियत रहती है |
235 *जब कोई वस्तु ऊपर से गिराई जाती है, तो उसका भार परिवर्तनशील होता है |
236 *किसी वस्तु में उसके गति के कारण जो कार्य करने की क्षमता आ जाती है, उसे गतिज ऊर्जा कहते हैं |
237 *द्रव्यमान दुगुना होने पर गतिज ऊर्जा भी दोगुना हो जाती है |
238 *किसी वस्तु की चाल आधी कर दी जाये, तो उसकी गतिज ऊर्जा एक चौथाई हो जायेगी |
239 *यदि किसी वस्तु की चाल दुगुनी कर दी जाये, तो उसका संवेग दुगुना तथा उसकी गतिज ऊर्जा 4 गुनी हो जायेगी |
240 *यदि पृथ्वी का द्रव्यमान बिना परिवर्तित हुए, उसका व्यास आधा हो जाये तो पृथ्वी पर किसी वस्तु का भार 4 गुना हो जायेगा |
241 *अलग-अलग द्रव्यमान के दो पिंडों को स्वतंत्रता पूर्वक समान ऊचाई से छोड़ा जाये तो इन पिंडो के पृथ्वी की ओर आकर्षण बल भिन्न-भिन्न होंगें |
242 *दो गेंदे जिनका भार अलग-अलग है, एक मीनार से गिराई जाती हैं, दोनों एक साथ नीचे पहुंचेगी |
243 *हवा मे लोहे और लकड़ी के समान भार की दो गेंद को समान ऊंचाई से गिराने पर पृथ्वी पर दोनों एक समय गिरेंगी |
244 *पृथ्वी के केंद्र से होकर, भूमंडल के विपरीत बिंदु तक एक छेद का वेधन किया जाये, तो इस छेद से गिराया गया एक सिक्का आयाम ह्यास के साथ एक किनारे से दूसरे किनारे तक दोलन करेगा |
245 *एक वस्तु का वजन अधिकतम पृथ्वी के ध्रुओं पर होता है |
246 *किसी वस्तु का जड़त्व वस्तु के द्रव्यमान पर निर्भर करता है |
247 *किसी पिंड के द्रव्यमान व भार में अंतर होता है, क्योंकि द्रव्यमान स्थिर रहता है, जबकि भार परिवर्तनीय होता है |
248 *यदि गति करने के लिए स्वतंत्र 1 किग्रा. द्रव्यमान की किसी वस्तु पर 1 न्यूटन का बल लगाया जाये तो वह 1 मी.से.2 के त्वरण से गति करेगी |
249 *राकेट की गति संवेग-सरक्षण के सिद्धांत पर आधारित होती है |
250 *डायनेमों यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है |
251 *मोमबत्ती रासायनिक ऊर्जा को प्रकाश एवं ऊष्मा ऊर्जा में बदलती है |
252 *माइक्रो फोन ध्वनि ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है |
253 *लाउडस्पीकर विद्युत ऊर्जा को ध्वनि ऊर्जा में बदलता है |
254 *सोलर सेल सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है |
255 *ट्यूबलाइट विद्युत ऊर्जा को प्रकाश ऊर्जा में बदलती है |
256 *विद्युत बल्ब विद्युत ऊर्जा को प्रकाश ऊर्जा एवं उष्मा ऊर्जा मे बदलता है |
257 *विद्युत मोटर विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलता है |
258 *विद्युत सेल रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है |
259 *सितार यांत्रिक ऊर्जा को ध्वनि ऊर्जा में बदलता है |
260 *प्रकाश-विद्युत सेल प्रकाश को विद्युत ऊर्जा मे बदलता है |
261 *भाप, पेट्रोल एवं डीजल इंजन उष्मा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलता है |
262 *नाभिकीय रिएक्टर नाभिकीय ऊर्जा को उष्मा, प्रकाश एवं यांत्रिक ऊर्जा में बदलता है |
263 *यदि पृथ्वी अपनी वर्तमान कोणीय चाल से 17 गुना अधिक चाल से घूमने लगे तो भूमध्य रेखा पर वस्तु का भार शून्य हो जायेगा |
264 *जब लिफ्ट ऊपर की ओर जाती है, तो लिफ्ट में स्थित पिंड का भार बढा हुआ प्रतीत होता है |
265 *जब लिफ्ट नीचे की ओर आती है, तो लिफ्ट में स्थित पिंड का भार घटा हुआ प्रतीत होता है |
266 *जब लिफ्ट एक समान वेग से ऊपर या नीचे जाती है, तो लिफ्ट मे स्थित पिंड के भार में कोई परिवर्तन नहीं प्रतीत होता है |
267 *यदि नीचे उतरते समय लिफ्ट की डोरी टूट जाए, तो वह मुक्त पिंड की भाँति नीचे गिरती है, अर्थात् पिंड का भार शून्य होता है, यहीं भारहीनता की स्थिति है |
268 *यदि लिफ्ट के नीचे गिरते समय लिफ्ट का त्वरण गुरूत्वीय त्वरण से अधिक हो, तो लिफ्ट में स्थित पिंड फर्श से उठकर उसकी छत से टकरा जायेगा |
269 *प्रत्येक ग्रह का क्षेत्रीय वेग नियत रहता है , इसका प्रभाव यह होता है कि जब ग्रह सूर्य के निकट होता है तो उसका वेग बढ़ जाता है और जब वह दूर होता है तो उसका वेग कम हो जाता है |
270 *सूर्य से अधिक दूरी के ग्रहों का परिक्रमण-काल अधिक होता है |
271 *पृथ्वी के उपग्रह का कक्षीय वेग कक्षा की त्रिज्या पर निर्भर करता है |
272 *उपग्रह का परिक्रमण काल उसके द्रव्यमान पर न निर्भर होकर पृथ्वी तल से ऊंचाई पर निर्भर करता है |
273 *पृथ्वी के अति निकट चक्कर लगाने वाले उपग्रह का परिक्रमण काल 84 मिनट होता है |
274 *उपग्रह की कक्षीय चाल उसकी पृथ्वी तल से ऊंचाई पर निर्भर करती है | उपग्रह पृथ्वी तल से जितना अधिक दूर होगा, उसकी चाल उतनी ही कम होगी |
275 *उपग्रह की कक्षीय चाल उसके द्रव्यामान पर निर्भर नहीं करती है, एक ही त्रिज्या के कक्षा में भिन्न-भिन्न द्रव्यमानों के उपग्रहों की चाल समान होगी |
276 *पृथ्वी-तल के अति निकट चक्कर लगाने वाले उपग्रह की कक्षीय चाल लगभग 8km/s होती है |
277 *पृथ्वी के परित: घूमने वाले कृत्रिम उपग्रह से बाहर गिराई गई गेंद पृथ्वी के परित: उपग्रह के समान आवर्त काल के साथ उसी की कक्षा में घूमती रहेगी |
278 *सामान्य जल की अपेक्षा समुद्री जल का घनत्व अधिक होता है, इसी कारण उसमें तैरना आसान होता है |
279 *जब बर्फ पानी में तैरता है तो उसका 1/10 भाग पानी के ऊपर रहता है |
280 *किसी बर्तन में पानी भरा है और उस पर बर्फ तैर रही है, जब बर्फ पूरी तरह से पिघल जायेगी तो पात्र में जल का स्तर समान ही रहेगा |
281 *बादल वायु में कम घनत्व के कारण तैरता रहता है |
282 *बर्फ के दो टुकड़ों को आपस में दबाने पर टुकड़े आपस में चिपक जाते हैं, क्योंकि दाब अधिक होने से बर्फ का गलनांक घट जाता है |
283 *सबसे शुद्ध जल वर्षा का जल होता है |
284 *पवन ऊर्जा द्वारा सबसे सस्ती विजली प्राप्त की जाती है |
285 *खाद्य ऊर्जा कैलोरी में मापी जाती है |
286 *भारत के लिए अन्यत्र उपयुक्त अपारंपरिक ऊर्जा-स्रोत सौर-ऊर्जा है |
287 *10 किग्रा. का एक पिंड जमीन से 10 मीटर की ऊंचाई पर है, उसकी स्थितिज ऊर्जा 9800 जूल होगी (g = 9.8 m/s) |
288 *गतिज ऊर्जा के वेग मे 25% वृद्धि करने पर गतिज ऊर्जा में 56.25% की वृद्धि होगी |
289 *टेलीफोन लाइन मे इलेक्ट्रिकल-ऊर्जा गमन करती है |
290 *1 ग्राम और 4 ग्राम द्रव्यमान की दो वस्तुएँ एक ही गतिज-ऊर्जा से गति कर रही हैं, उनके रेखीय संवेग के परिमाण का अनुपात 1 : 2 होगा |
291 *एक हल्की और एक भारी वस्तु को ऊंचाई पर से एक साथ गिराया जाता है, अगर वायु प्रतिरोध को नगण्य माना जाये तो दोनों एक ही साथ जमीन पर गिरेगीं |
292 *एक वस्तु उदासीन साम्यावस्था में है, उसे हिलाने पर उसकी स्थितिज-ऊर्जा शून्य हो जायेगी |
293 *एक 20J की गतिज-ऊर्जा और 100g के द्रव्यमान वाले पिंड का वेग 20 m/s होगा |
294 *एक व्यक्ति को 5 मीटर की दूरी पर भार लेकर जाना है, अधिकतम कार्य तब होगा, जब वह एक क्षैतिज सतह पर भार को ठेलता है |
295 *एक बस, एक कार एवं एक मोटर साइकिल एक ही गतिज ऊर्जा में गति करते हैं, ब्रेक द्वारा समान मंदन प्रयोग करने पर मोटर साइकिल कम दूरी पर रूकेगा|
296 *स्वतंत्रता पूर्वक गिरती हुई वस्तु की कुल ऊर्जा नियत रहती है |
297 *भौतिक अथवा रासायनिक तुला (दो पल्ला) लीवर के सिद्धांत पर काम करता है |
298 *टैकोमीटर द्वारा घूमने की गति मापी जाती है |
299 *आवृत्ति को शेरिंग ब्रीज के प्रयोग द्वारा मापा जा सकता है |
300 *लैथ मशीन पर कूलर का प्रयोग वर्क पीस को ठंडा रखने के लिए किया जाता है |
भौतिक विज्ञान 1500 प्रश्न उत्तर Part 3
Reviewed by vishal
on
October 18, 2018
Rating:
This is very helpful and knowledgeable question and answer .
ReplyDelete